सिर्फ 120 मिनट होते है चमकी बुखार से पीड़ित बच्चे को बचाने के लिए : डॉक्टर
By: Pinki Thu, 20 June 2019 09:57:35
बिहार में चमकी बुखार ने 140 बच्चों की जान ले ली है. मुजफ्फरपुर श्रीकृष्ण मेडिकल कालेज अस्पताल में बुधवार को पांच और बच्चों की मौत हो गई। इन पांच बच्चों को मिलाकर उनके अस्पताल में मरने वाले बच्चों की संख्या अब 115 हो गयी है।पिछले 24 घंटे के अंदर मेडिकल कॉलेज में 75 नए मरीज भर्ती हुए हैं। वही मुजफ्फरपुर में इस महामारी का इलाज कर रहे एक डॉक्टर ने नवभारत टाइम्स से बात करते हुए बताया 'जब बच्चा चमकी बुखार से पीड़ित होकर हमारे पास आता है, तब उसकी जान बचाने को सिर्फ 120 मिनट होते हैं। इस दौरान हमें इलाज और चमत्कार दोनों पर भरोसा रखना होता है। सबसे पहले बच्चों को तेज बुखार होता है और फिर वह अवचेतन की स्थिति में जाता है। फिर चंद मिनटों में उसकी जान चली जाती है। अधिकतर मामलों में यह सब दो घंटों में हो जाता है। ऐसे में मरीज कौन सी स्थिति में हमारे पास आता है, उससे तय होता है कि उसकी जान बचेगी या नहीं।’ डॉक्टरों का कहना है कि शुरुआती चरण में मरीज पकड़ में आ जाए तो ठीक होने की संभावना बढ़ जाती है।
केंद्र सरकार भेजेगी डॉक्टरों की 5 टीम
वहीं मुजफ्फरपुर में हालात से निटने को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन (Harsh Vardhan) ने डॉक्टरों की 5 टीम भेजने के निर्देश दिये हैं। इसमें बच्चों के 10 डॉक्टर और 5 सहायक होंगे। बच्चों के डॉक्टर्स में 5 सीनियर कंसलटेंट भी शामिल हैं। वहीं सहायक के तौर पर राम मनोहर लोहिया, सफदरजंग और लेडी हार्डिंग हॉस्पिटल के लोग मुजफ्फरपुर जाएंगे।
बता दें कि चमकी बुखार से हो रही मौतों का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। दो वकीलों ने जनहित याचिका दायर कर मांग की है कि बीमारी से प्रभावित इलाकों में केंद्र और बिहार सरकार को 500 आईसीयू बनाने का आदेश दिया जाए, प्रभावित इलाकों में मेडिकल एक्सपर्ट टीम भेजने के निर्देश दिए जाएं और 100 मोबाइल ICU मुजफ्फरपुर भेजे जाएं। इसके साथ ही मेडिकल बोर्ड का गठन किया जाए। याचिका में यह भी कहा गया है कि बिहार सरकार स्थिति को संभालने में नाकाम रही है जिसकी वजह से 100 से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई है। इसलिए अब कोर्ट का दखल जरूरी है। यह याचिका मनोहर प्रताप और संप्रीत सिंह अजमानी ने दाखिल की है।
तब जान कैसे बचे
जान बचाने के लिए जब इतना कम वक्त मिल रहा है तो फिर जान कैसे बचे? इसके लिए सरकार ने तत्काल बरसों से लंबित प्रस्ताव को लागू करने की दिशा में पहल की है। सबसे प्रभावित इलाकों मीनापुर, बोचहां, कांटी, मोतीपुर में एक्सपर्ट की टीमें ऐम्बुलेंस और मोबाइल मेडिकल सिस्टम के साथ कैंप करने लगी हैं और जहां भी बच्चों को बुखार की सूचना मिल रही है वहां सीधे घर जाकर उस केस की निगरानी करने लगी हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति दे दी है जिसमें बिहार में चमकी बुखार से हो रही मौतों के मामले में मेडिकल एक्सपर्ट टीम गठित करने की गुहार लगाई गई है। गुहार लगाई गई है कि इस बीमारी को रोकने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश दिया जाए।
सरकार खर्च वहन करेगी
मुख्य सचिव दीपक कुमार ने कहा कि बीमार बच्चों को अस्पताल लाने के लिए 400 रुपए का भुगतान किया जाएगा और सभी बीमार बच्चों के इलाज का खर्चा सरकार वहन करेगी। मुख्य सचिव ने कहा कि रात में खाली पेट नहीं सोएं और बीमार होने की स्थिति में मरीजों को तुरंत अस्पताल पहुंचाया जाए। इसे लेकर गांव-गांव लोगों के बीच जागरूकता पैदा की जाए और आशा, एएनएम कार्यकर्ता और आंगनबाड़ी सेविका के माध्यम से वहां ओआरएस पहुंचाया जाए जहां यह नहीं पहुंचा है।
उन्होंने कहा कि बीमारी के कारण के प्रति अलग-अलग राय को लेकर चिकित्सकों से बातचीत करने पर इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं इससे प्रभावित हुए करीब 400 बच्चों के घरों पर वातावरणीय अध्ययन एवं सामाजिक-आर्थिक स्थिति जानने के लिए एक टीम कल से जाएगी। दीपक ने कहा कि हम लोग एसकेएमसीएच में बच्चों के इलाज के लिए किए जा रहे प्रयास से संतुष्ट हैं और किसी भी बीमार बच्चे के अभिभावक ने कोई शिकायत नहीं की है। वहां केंद्रीय टीम के साथ साथ आईसीएमआर का दल शोध के लिए पहुंचा है।