निजामुद्दीन स्थित मरकज में जमा थे 2000 लोग, 200 कोरोना संदिग्ध निकले
By: Pinki Mon, 30 Mar 2020 11:23:33
निजामुद्दीन में तब्लीगी जमात के मरकज में 1 से 15 मार्च तक 5000 से ज्यादा लोग आए थे। इनमें इंडोनेशिया, मलेशिया और थाईलैंड के लोग भी शामिल थे। 22 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा के बाद भी यहां 2000 लोग ठहरे हुए थे। इनमें से 200 लोगों के कोरोना संक्रमित होने की आशंका है। संदिग्धों को जांच के लिए कई अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। इन्हें सर्दी, खांसी और जुकाम की शिकायत है। इस जगह से 1200 लोगों को निकाला जा रहा है। इस मामले में केजरीवाल सरकार ने दिल्ली पुलिस से निजामुद्दीन मरकज के मौलाना के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने को कहा है। दिल्ली सरकार का कहना है कि उन्हें जानकारी मिली है कि निजामुद्दीन मरकज के प्रशासकों ने कोरोना के खतरे को देखते हुए लागू लॉकडाउन की शर्तों का उल्लंघन किया है और यहां कोरोना पॉजिटिव के कई मामले सामने आए हैं। दिल्ली सरकार ने निजामुद्दीन मरकज के प्रबंधन के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई करने की बात कही है।
निजामुद्दीन का यह मरकज इस्लामी शिक्षा का दुनिया में सबसे बड़ा केंद्र है। यहां कई देशों के लोग आते रहते हैं। मरकज में रुके लोगों से ज्यादातर अपने देशों और भारत स्थित शहरों में लौट गए थे। लौटकर गए लोगों में से 6 कोरोना पॉजिटिव पाए गए। एक व्यक्ति की मौत हो गई। हालांकि, मृतक की रिपोर्ट अभी नहीं आई है। स्वास्थ्य विभाग, डब्ल्यूएचओ, नगर निगम और पुलिस की टीमें यहां से लोगों को निकाल रही हैं। दिल्ली पुलिस ने निजामुद्दीन इलाके में स्थित एक मस्जिद के आसपास के इलाके को खाली करा लिया है। यह मस्जिद निजामुद्दीन दरगाह के पास है। इसके अलावा यहां ड्रोन के माध्यम से निगरानी की जा रही है, ताकि लॉकडाउन से संबंधित आदेश का सख्ती से पालन हो सके। इससे पहले दिल्ली स्वास्थ्य विभाग की टीम ने इलाके के कुछ लोगों में कोरोना वायरस के लक्षण होने की जानकारी दी थी।
पुलिस ने बताया कि लॉकडाउन से पहले ही यहां से भीड़ हटाने के लिए प्रयास किए जा रहे थे। लोगों से अपील की जा रही थी। लेकिन, तब्लीगी मरकज में जमा लोगों ने बात नहीं सुनी। यहां रहने वाले लोगों में ज्यादातर लोगों की उम्र 60 साल से ऊपर है।