किसकी सुनें दिल या दिमाग की, यहां मिलेगा आपको इसका जवाब
By: Priyanka Wed, 08 Jan 2020 4:22:56
लोग अक्सर यह कहते सुने जाते हैं कि उनका दिल उन्हें एक ओर ले जाता है और दिमाग दूसरी ओर जाने को कहता है। हम खुद इन दोनों के बीच मे फंस कर जाते हैं। एक बार हम सोचते हैं कि दिमाग सही कह रहा है तो दूसरी बात हम अपनी भावनाओं से खिलवाड नहीं कर सकते और सोचते हैं कि दिल सही कह रहा है। हमे उसकी बात मान लेनी चाहिए। वैसे देखा जाए तो दिल और दिमाग का अपना अपना महत्व होता है। दोनों का होना जरूरी होता है। और यह दोनों एक दूसरे के पूरक भी हैं। फिर भी यह कभी कभी झगड़ने लगते हैं। आईये जानते हैं जब समझ नहीं आये की दिल की सुननी है या दिमाग की तब क्या करें।
रिश्तों को दिल से सोचें, दिमाग से नहीं
ऐसा होता है कि कई बार रिलेशनशिप को स्ट्रांग बनाने के लिए आप जो निर्णय ले रहे हैं, वह दिमागी तौर पर सही नहीं है, लेकिन अगर दिल से सोचने पर लगे कि आप सही कर रहे हैं तो दिल की ही सुननी चाहिए। कई बार रिश्तों को निभाने के लिए कुछ नादानियां करना भी जरूरी होता है। अगर आप दिल पर दिमाग को हावी होने देंगे तो हर बात प्रैक्टिकल होकर सोचेंगे। इससे आप कभी भी सामने वाले की भावना को मान नहीं दे पाएंगे।
रिश्तों में फायदे
नुकसान के बारे में न सोचें-लाभ-हानि का रिश्ता व्यापार में अच्छा लगता है। उन्हें अपने काम तक ही सीमित रखें। अपने खास लोगों के साथ कभी यह बात न सोचें कि उनके साथ रहने से या उन्हें वक्त देने से आपका क्या नुकसान या फायदा होगा। खास रिश्ता तभी बनता है और टिकता है, जब आप फायदे और नुकसान को देखे बगैर, जरूरत पड़ने पर उनके सुख-दुख के समय उनके साथ मजबूती से खड़े रहें। अगर आप उनकी कोई मदद कर रहे हैं या वह आपसे मदद मांग रहे हैं तो फिर से फायदे-नुकसान के बारे में न सोचें।
सच और झूठ को समझें
वर्तमान समय में रिश्ते निभाने की बात पर ये पंक्तियां बिल्कुल सटीक बैठती हैं। सच ही तो है कि इन दिनों रिश्ते लाइक और कमेंट में उलझ कर रह गए हैं। लोग मोबाइल स्क्रीन के माध्यम से ही एक-दूसरे के टच में रहते हैं। वास्तविक दुनिया में टच में रहना या रखना अब गैर जरूरी सा होता जा रहा है। ऐसे में जिंदगी के सारे अहम रिश्ते दम तोड़ रहे हैं और हम वर्चुअल दुनिया में रह कर ही खुशियां मना रहे हैं और उन्हीं रिश्तों को अपनी जागीर मान रहे हैं, जबकि हकीकत यही है कि वह झूठी और बनावटी दुनिया है।
दिल और दिमाग अलग नहीं हैं
आप पूरे एक हैं।-पहले तो हमें यह समझना होगा कि दिल और दिमाग कहते किसे हैं। आप अक्सर अपनी सोच का संबंध दिमाग से और भावों का संबंध दिल से जोड़ते हैं। अगर आप पूरी सजगता और गंभीरता से इस पर गौर करें तो पाएँगे कि आप जैसा सोचते हैं, वैसा ही महसूस करते हैं।
दिल या भावनाएं का महत्व
आप यह सोच सकते हैं कि भगवान ने इंसान को दिमाग दिया है तो भावनाएं या पॉजिटिव नगेटिव प्रभाव क्योंदिय हैं? इसके पीछे का अर्थ क्या है ? इसके लिए हम आपको बतादें कि बिना भावनाएं इंसान जिंदा नहीं रह सकता । इंसान ही नहीं जानवरों के अंदर भी फीलिंग होती है। एक रोबॉट को लें उसे जो निर्देश दिया जाता है वह वैसे ही काम करता है। यदि रोबोट के पास खुद की सोचने समझने की पॉवर हो तो वह किसी चीज से डरेगा नहीं । उसके अंदर फीलिंग नहीं होगी ।