बच्चो को अच्छी परवरिश देने के चक्कर में माता पिता कर बैठते है ये गलतियाँ
By: Ankur Fri, 15 Dec 2017 9:19:27
इस दुनिया में माता-पिता की जॉब सबसे मुश्किल और थेंकलेस जॉब हैं। सही तरीके से माता-पिता की भूमिका निभा पाना इतना आसन नहीं होता। अपने बच्चो को एक अच्छी परवरिश देना माता-पिता का दायित्व है, जिससे की वो आगे आने वाली जिंदगी में खुद को एक अच्छा इंसान साबित कर सकें। लेकिन अच्छी परवरिश के चक्कर में कभी-कभी माता-पिता इतने सख्त हो जाते हैं कि उनके बच्चे उनसे दूर होने लगते हैं, वे अपने मन की बात भी अपने अभिभावक से नहीं कर पाते। तब बच्चे ये एहसास करने लगते हैं कि उनके पैरेंट्स ही उनके सबसे बड़े दुश्मन हैं और वे उनकी बिल्कुल भी परवाह नहीं करते। हम मानते हैं कि माता-पिता हमेशा अपने बच्चों की भलाई के लिए सबकुछ करते हैं लेकिन सख्ती का ये रवैया बिलकुल सहीं नहीं हैं। इसलिए आज हम आपको बताने जा रहे हैं माता-पिता द्वारा की जाने वाली ऐसी गलतियां जो उन्हें करने से बचना चाहिए।
* मैं तुम्हारी उम्र में तुमसे अधिक ज़िम्मेदार था :
छोटी छोटी बातों पर आप अपने बच्चों से तुलना कभी न करें क्योंकि बात-बात पर अपने बच्चे की तुलना करना सही नहीं है। इससे उसका आत्म विश्वास कमज़ोर पड़ सकता है और वो क़ामयाबी के बजाय पतन की ओर जा सकते हैं। यहाँ तक कि आप उसे उसके सबसे बड़े दुश्मन नज़र आने लगेंगे इसलिए ऐसी ग़लती कभी न करें।
* बहाने बनाना ( “बच्चे तो ऐसे ही होते हैं”) :
अगर आप ऐसे वाक्यांश का उपयोग करके सभी के सामने उनके दुर्व्यवहार और गुस्से को सही साबित करते हैं, तो आप अपने बच्चों को प्रेरित कर रहें हैं कि वे अपने दुर्व्यवहार को जारी रख सकते हैं और वे गैर जिम्मेदार भी रह सकते हैं।
* हम क्षमा चाहते हैं :
अपने बच्चे से क्षमा माँगने में कभी संकोच ना करें। कई परिस्थितियों में आप कोई विशेष दिवस,या जन्मदिन या स्कूल का कोई कार्यक्रम भूल गये होंगे ,या आपसे कोई और चूक हुई होगी।ऐसे में अपने बच्चे से क्षमा माँगने में कोई शर्मिंदगी महसूस नही करें।
* अपने भाई-बहन जैसे गुणवान बनो :
अक्सर पैरेंट्स बच्चों में छोटी सी कमियों को पाते ही ये ज़रूर कहने लगते हैं कि तुम अपने भाई-बहन या अन्य लड़कों की तरह गुणवान क्यों नहीं हो? बार बार बच्चे की तुलना किसी के साथ करना सही नहीं है। ऐसा करने से बच्चा अपने ही भाई-बहन या अन्य लोगो को अपना दुश्मन समझना शुरू कर देगा।
* आप दूसरों को अपने बच्चे को डाँटने नही देते :
पहले समय में, शिक्षकों और प्रोफेसरों को छूट होती थी कि वो हमारे बच्चों को उनके अनुचित व्यवहार के लिये गुस्सा करके सिखा सकते थे। आजकल यह लगभग असंभव है क्योंकि अगर एक शिक्षक या एक कर्मचारी आपके बच्चे को कुछ समझाने की कोशिश करता है, तो आप गुस्सा हो जाते हैं। अगर आप ऐसा करते हैं, तो आप अपने बच्चों को ये बता रहे हैं कि वो दुर्व्यवहार कर सकते हैं और न ही आप, न ही शिक्षक, कर्मचारी या कोई भी उन्हें रोकने के लिए कुछ कर सकता है।
* हम तुम्हारी बात सुन रहे हैं :
सुन ना एक कला है,और अपने बच्चे की बातें सुनना अत्यावश्यक है।उनकी कहानियाँ, उनकी अभिलाषाएँ, उनके सपने अपने फोन और लॅपटॉप को बंद करें और ये सब चाव से सुनें।
* तुम्हारी वजह से शर्मिंदा होना पड़ा :
बच्चों के छोटे छोटे कार्य में या पढ़ाई या प्रतियोगिता में जब हार मिलती है तो अक्सर माता पिता को समाज में इन बातों को लेकर शर्मिंदा होना पड़ता है और जब माता पिता अपना सारा ग़ुस्सा बच्चे पर ये कहकर निकालते है कि हमें बार बार सिर्फ़ तुम्हारी वजह से शर्मिंदा होना पड़ता है। तो पैरेंट्स के द्वारा बार बार कहा गया ये वाक्य बच्चे के आत्म-सम्मान को ठेस पहुंचा सकता है और वो डिप्रेशन में भी आ सकता है।