क्या आपके बच्चे देने लगे हैं गालियां, इन 5 तरीकों से करें उनकी समझाइश
By: Ankur Wed, 17 Feb 2021 3:59:25
बच्चों का मन बहुत चंचल होता हैं जो बाहर के वातावरण से कई चीजें सीखता हैं। इनमें से कुछ चीजें ऐसी होती हैं जो शिष्टाचार के विरुद्ध होती हैं। देखा जाता हैं कि आजकल बच्चे बाहर से अपशब्द अर्थात गालियां बोलना सीखते हैं जो कोई भी माता-पिता नहीं चाहते हैं। बच्चों के इस व्यवहार का सीधा नाता पेरेंट्स की परवरिश पर सवाल खड़ा करता हैं। इसलिए आज इस कड़ी में हम आपके लिए कुछ ऐसे तरीके लेकर आए हैं जिनकी मदद से आप बच्चों की समझाइश कर सकते हैं और उनकी गाली देने की आदत को दूर कर सकते हैं।
पहली बार में ही टोकें
अक्सर आपको पता ही नहीं होता है कि आपका बच्चा कैसे-कैसे लोगों के संगत में हैं। कई बार बच्चे आपके सामने गाली नहीं दे रहे होते हैं मगर आपके पीठ पीछे जरूर असभ्य भाषा का इस्तेमाल कर रहे होते हैं। मगर बच्चों की ऐसी आदत लंबे समय तक छिपती नहीं है। अगर आपका बच्चा गलती से भी गाली का प्रयोग करता है तो उसे वहीं तुरंत टोकें ताकि वह दोबारा ऐसे शब्दों का प्रयोग न करे।
बच्चे और उसके दोस्तों पर नजर रखें
कुछ माता-पिता न तो अपने बच्चे पर नजर रख पते हैं और न ही उनके दोस्तों पर, जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए। अगर आप अपने बच्चों की अच्छी तरह से परवरिश करना चाहते हैं तो उनपर नजर रखें। हालांकि, नजर रखने का मतलब यह कतई नहीं है कि आप उनकी जासूसी करें। बच्चे से उसके बारे में और उसके दोस्तों के बारे में जरूर बात करें साथ ही उन्हें अच्छे दोस्त और बुरे दोस्तों में फर्क को समझाएं।
बच्चे की पढ़ाई पर ध्यान दें
आपका बच्चा पढ़ने में कैसा है, उसके मार्क्स कैसे आ रहे हैं, शिक्षकों का उसके प्रति क्या भाव है जैसी बातों को एक पैरेंट्स को जरूर पता होना चाहिए। कुछ मिलाकर माता-पिता को उसकी पढ़ाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए। ताकि उसका मन पढ़ाई में लगे और वो बुरी आदतों और संगतों से दूर रहें। अगर आपका बच्चा पढ़ाई में अच्छा होगा तो निश्चितरूप से उसके दोस्त भी कम होंगे और अच्छे होंगे।
नैतिक शिक्षा का पाठ पढ़ाएं
बचपन से ही बच्चों को नैतिकता का पाठ जरूर पढ़ाना चाहिए। बच्चों को गीता, रामाणय और वेदों से जुड़ी कहानियां बतानी चाहिए। उन्हें उन महापुरुषों की कहानी सुनानी चाहिए, जिन्होंने देश के लिए और समाज के लिए कुछ अलग किया हो। नैतिकता से बच्चों में गंभीरता आती है और वे किसी महान व्यक्तित्व की तरह जीवन जीते हैं। ऐसे बच्चे कभी बुरी संगत में नहीं पड़ते हैं बल्कि वे आगे चलकर अपने माता-पिता का नाम करते हैं।
अच्छे और बुरे व्यक्तियों के बीच का फर्क समझाएं
अच्छे इंसान कौन होते हैं और बुरे इंसान कौन होते हैं, इस प्रकार की समझ बच्चों विकसित नहीं होती है। ये उन्हें सिखाना पड़ता है। और ये काम माता-पिता का होता है। पेरेंट्स को अपने बच्चों को अच्छी सीख देने के साथ अच्छे और बुरे इंसानों के बीच फर्क को भी बताना चाहिए, ताकि वे ऐसी संगत में न पड़ें जिससे उनका भविष्य और आपकी छवि खराब हो।
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