यहां मनोकामनाओं की पूर्ती के लिए मंदिर में फेंके जाते हैं अंडे

By: Anuj Thu, 21 May 2020 11:42:10

यहां मनोकामनाओं की पूर्ती के लिए मंदिर में फेंके जाते हैं अंडे

नगरसेन बाबा के नाम से विख्यात प्राचीन मंदिर फीरोजाबाद शहर से करीब आठ किमी दूर मटसेना रोड पर बिलहना गांव में बना है। इस मंदिर की अनोखी परंपरा है कि नगरसेन बाबा पर अंडा फेंककर मांगी हुई मुराद पूरी हो जाती है। मनौती मांगने के लिए यहां दूसरे जिलों और प्रांतों से भी श्रद्धालु आते हैं।मंदिर की स्थापना करीब सौ वर्ष पूर्व दिवाकर समाज ने की थी। भक्तों की मानें तो उनका कहना है कि जिनके बच्चे बीमार होते हैं और जिनके बच्चे नहीं होते वह यहां आकर अंडों को मंदिर पर फेंककर मारते हैं। जिससे उनकी मनोकामना पूर्ण हो जाती है इस मेले में काफी दूर-दूर से लोग आते हैं।

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फिरोजाबाद का बिलौना गांव

यह अद्भुत मंदिर उत्तर प्रदेश के जिरोजाबाद शहर में है, जहां भक्तों द्वारा अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए दीवार पर अंडे मारे जाते हैं। सुन कर अजीब जरूर लग रहा होगा लेकिन यह हकीकत है। धार्मिक मान्यता के अनुसार हर साल बैशाख माह यानी अप्रैल के महीने यहां एक भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। इस मेले के दौरान भक्त अपने पूजा के थाल के साथ अंडे भी लेकर आते हैं और मंदिर के अंदर दीवार और मंदिर के देवता जो कोई बाबा बताए जाते हैं उनपर फेंकते हैं। यह मंदिर बाबा नगर सेन का बताया जाता है। यहां मन्नत मांगने और पूरी होने पर अंडा फेंकने की परंपरा है।

बच्चा बीमार होने पर की थी मंदिर की स्थापना

मंदिर की स्थापना के संबंध में मेला कमेटी पदाधिकारी पूर्व प्रधान जगन्नाथ दिवाकर एवं पुजारी विनोद कुमार के अनुसार उनके पूर्वज दयाराम और रामदयाल लगभग सौ वर्ष पूर्व मंदिर का निर्माण कराया था। उनका बच्चा बीमार हो गया था, तब उन्होंने बच्चा ठीक होने की नगरसेन बाबा से मन्नत मांगी थी। मन्नत पूरी होने पर पूर्वजों ने मंदिर की स्थापना कराई गई।

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धीरे-धीरे बढ़ती गई मान्यता

शुरूआत में तो सिर्फ दिवाकर समाज के ही लोग पूर्जा अर्चना करते थे। धीरे-धीरे गांव के अन्य समाज के लोग नगरसेन बाबा में आस्था रखने लगे। अब यहां जनपद के अलावा, आगरा, एटा, मैनपुरी, इटावा, दिल्ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब से भी महिला एवं पुरुष श्रद्धालु आते हैं।
3 दिन तक चलता है


मेला वैशाखी के दिन आयोजित होने वाला यह मेला तीन दिन तक चलता है। इन तीन दिनों में भारत के आसपास वे दूर-दूर से भी श्रद्धालु यहां तक का सफर तय करते हैं। यहां आने वाला हर भक्त कोई न कोई मनोकामनाएं लेकर पहुंचता है। अब आप सोच सकते हैं कि इन तीन दिनों में कितने अंडे इस मंदिर में फेंके जाते हैं होंगे। सैकड़ों की तादाद में भक्तों का प्रवेश और उनके द्वारा अंडे फेंकने की परंपरा वाकई दिमाग पर कुठाराघात करती है।

अजीबोगरीब धारणाएं

अंडे फेंकने की इस मान्यता से कई अजीबोगरीब धारणाएं भी जुड़ी हैं, भक्तों का मानना है कि यहां अंडा चढ़ाकर मांगी गई मन्नत अवश्य पूरी होती है। उनका कहना है कि जिनके बच्चे बीमार होते हैं वे अगर यहां आकर मंदिर में अंडा फेंके तो बीमार बच्चे जल्द ठीक हो जाते हैं। इसलिए इस मंदिर में दूर-दूर से लोग आते हैं। इन सब धारणाओं के कारण मंदिर की लोकप्रियता बढ़ने पर है। खास मौकों पर आप यहां भक्तों का अच्छा-खास जमावड़ा देख सकते हैं। भक्त यहां अपनी अलग-अलग इच्छाओं को लेकर आते हैं।

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