हरियाणा में देखने लायक पर्यटन स्थल
By: Priyanka Maheshwari Mon, 30 Apr 2018 08:40:32
हरियाणा में एक सदनीय विधानमंडल है, जहां पर कुल विधानसभा सदस्यों की संख्या 90 तथा लोकसभा सदस्यों की संख्या 10 है |
यहा वैदिक युग से ही एक गौरवपूर्ण स्थान रहता है | यह एक भरत वंश के शासकों का स्थान रहा है, जिनके नाम पर देश को भारत नाम दिया गया | महाभारत में इस राज्य का उल्लेख है | कुरुक्षेत्र, जहां कौरवों व पांडवों के बीच महाभारत का युद्ध हुआ, इसी राज्य में स्थित है | इतिहास में इस राज्य की मुख्य भूमिका मुगलों के भारत में आने तक और दिल्ली के राजधानी बनने तक रही है |
अंग्रेजो ने 1875 ई. के स्वतंत्रता युद्ध को दबाकर अपनी सत्ता पुन: स्थापित कर ली और इज्जत व बहादुरगढ़ के नवाबों, बल्लभगढ के राजा बाय रेवाड़ी के तुलाराम के राज्य छिन लिये | फिर ये राज्य या तो ब्रिटिश सम्रज्य में मिला लिये गये या फिर नाभा, जींद व पटियाला के शासकों को सौंप दिये गये | इस प्रकार, हरियाणा पंजाब राज्य का एक प्रांत बन गया | नवम्बर, 1966 को आधुनिक हरियाणा राज्य अस्तित्व में आया |
राज्य के पूर्व में उत्तर प्रदेश, उत्तर में हिमाचल प्रदेश, उत्तर-पश्चिम में पंजाब तथा दक्षिण पश्चिम में राजस्थान है | राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, हरियाणा से जुड़ा है | तथा हरियाणा द्वारा तीन ओर से घिरा हुआ है |
भौगोलिक
भौगोलिक दृष्टि से राज्य को दो प्राकृतिक क्षेत्रों-हिमाचल का क्षेत्र और सिंधु-गंगा मैदान क्षेत्र में बांटा जा सकता है | मैदानों क्षेत्र काफी उपजाऊ है | हरियाणा की दक्षिण-पश्चिम भाग सूखा और रेतीला है | इस राज्य की एकमात्र नदी घन्धर है, जो राज्य के उतरी किनारे से होकर बढ़ती है |
यहाँ की 75 प्रतिशत जनसंख्या की जीविका का साधन कृषि ही है | हरियाणा देश का पहला राज्य है, जहां किसानो के सहकारी रुण माफ किये गये हैं | हरियाणा न केवल खाधान्न के मामले में आत्मनिर्भर हैं, बल्कि यह केंद्र को अनाज की सहायता भी देता है | हींसार का हरियाणा कृषि विश्वविधालय देश के आरंभिक अनुसंधान संस्थानों में से एक है |
* कुरुक्षेत्
यही हिंदुओं का एक पवित्र तीर्थस्थल है | यहीं पर प्रसिद्ध महाभारत का युद्ध लड़ा गया था | जिसमें असंख्य लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी | यहां विनाशकारी बुराई पर भलाई की विजय का सुंदर युद्ध पांडु के जेष्ठता भ्रात धृतराष्ट्र के सौ पुत्रों व पांडु के पांच पुत्र पंच पांडवों के मध्य हुआ था | इस महायुद्ध की विश्व को सबसे बड़ी देन है भगवतगीता |
यह वो संवाद है जो युद्ध भूमि पर श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहे | जब युद्ध भूमि में बीचोंबीच सरथी बने कृष्ण, ने अर्जुन के रथ को ले गये तब सामने शत्रुओं के रूप में अपने श्रद्धेय गुरुओं पूजनीय वृद्धों व प्रिय अनुजों को देखकर अर्जुन के हाथ कांप गये | क्या मुझे इन प्रियजनों का वध करना होगा उसने अपना गांडीव रख दिया | तब श्रीकृष्ण ने अर्जुन का निष्काम कर्म की शिक्षा दी | यही शिक्षाये पवित्र हिंदूग्रंथ भगवतगीता होकर प्रसिद्ध हुई |
* पानीपत
पानीपत भी प्राचीन काल से ही सुविख्यात है | यहां तीन महायुद्ध लड़े गये पहला महायुद्ध 1526 ई. में बाबर व इब्राहिम लोदी के बीच लड़ा गया, दूसरा महायुद्ध अकबर व हेमू के बीच 1556 ई. में लड़ा गया | तीसरा महायुद्ध लड़ा गया अहमदशाह अब्दाली व मराठों के बीच 1761 ई. में | पहले महायुद्ध में जीत बाबर की हुई, दूसरा महायुद्ध जीता अकबर ने तीसरा महायुद्ध अहमदशाह अब्दाली ने जीता |
* करनाल झील
दानवीर कर्ण द्वारा इस नगर की स्थापना की गई थी | यहां पर माहौल अत्यंत शांत व सुमधुर है | झील का जल गंभीर तपस्वी की तरह स्थित है | बोटिंग का प्रबन्ध भी है | दर्शनार्थि चाहें तो झील का भ्रमण कर सकते हैं | पास ही मन को दहला देने वाली गती से प्रवाहमान यमुना कैनाल भी है |
* सुल्तानपुर
सुल्तानपुर पक्षी संग्रह के लिये जाना जाता है | यहां सैलानी देशी-विदेशी सभी प्रकार के पक्षियों को देख सकते हैं |