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अपनी ऐतिहासिक विरासत के साथ-साथ प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है - अल्मोड़ा

अल्मोड़ा भारतीय राज्य उत्तराखण्ड का एक महत्वपूर्ण नगर है। यह अल्मोड़ा जिले का मुख्यालय भी है।

Posts by : Priyanka Maheshwari | Updated on: Sun, 29 Apr 2018 00:48:55

अपनी ऐतिहासिक विरासत के साथ-साथ प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है - अल्मोड़ा

अल्मोड़ा भारतीय राज्य उत्तराखण्ड का एक महत्वपूर्ण नगर है। यह अल्मोड़ा जिले का मुख्यालय भी है। अल्मोड़ा दिल्ली से 365 किलोमीटर और देहरादून से 415 किलोमीटर की दूरी पर, कुमाऊँ हिमालय श्रंखला की एक पहाड़ी के दक्षिणी किनारे पर स्थित है। भारत की 2011 की जनगणना के अनुसार अल्मोड़ा की कुल जनसंख्या 35,513 है। अल्मोड़ा की स्थापना राजा बालो कल्याण चंद ने 1568 में की थी। महाभारत (8 वीं और 9वीं शताब्दी ईसा पूर्व) के समय से ही यहां की पहाड़ियों और आसपास के क्षेत्रों में मानव बस्तियों के विवरण मिलते हैं। अल्मोड़ा, कुमाऊं राज्य पर शासन करने वाले चंदवंशीय राजाओं की राजधानी थी। स्वतंत्रता की लड़ाई में तथा शिक्षा, कला एवं संस्कृति के उत्थान में अल्मोड़ा का विशेष हाथ रहा है।

स्कन्दपुराण के मानसखंड में कहा गया है कि कौशिका (कोशी) और शाल्मली (सुयाल) नदी के बीच में एक पावन पर्वत स्थित है। यह पर्वत और कोई पर्वत न होकर अल्मोड़ा नगर का पर्वत है। यह कहा जाता है कि इस पर्वत पर विष्णु का निवास था। कुछ विद्वानों का यह भी मानना है कि विष्णु का कूर्मावतार इसी पर्वत पर हुआ था। एक कथा के अनुसार यह कहा जाता है कि अल्मोड़ा की कौशिका देवी ने शुंभ और निशुंभ नामक दानवों को इसी क्षेत्र में मारा था। कहानियाँ अनेक हैं, परन्तु एक बात पूर्णत: सत्य है कि प्राचनी युग से ही इस स्थान का धार्मिक, भौगोलिक और ऐतिहासिक महत्व रहा है।

अल्मोड़ा नगर अपनी ऐतिहासिक विरासत के साथ साथ प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। नगर में एक ओर चन्दकालीन किले तथा मंदिर हैं, तो वहीं दूसरी ओर ब्रिटिशकालीन चर्च तथा पिकनिक स्थल भी उपस्थित हैं। इसके अतिरिक्त अल्मोड़ा सड़क मार्ग से पूरे कुमाऊँ क्षेत्र से जुड़ा हुआ है, इसलिए सुदूर पर्वतीय स्थलों तक भ्रमण करने वाले लोग भी अल्मोड़ा से होकर गुजरते हैं। पर्यटकों, प्रकृति-प्रेमियोम, पर्वतरोहियों और पदारोहियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए अल्मोड़ा आज का सर्वोत्तम नगर है। यहाँ रहने के लिए अच्छे होटल हैं। अलका होटल, अशोक होटल, अम्बैसेडर होटल, ग्रैंड होटल, त्रिशुल होटल, रंजना होटल, मानसरोवर, न्यू हिमालय होटल, नीलकंठ होटल, टूरिस्ट कॉटेज, रैन बसेरा होटल, प्रशान्त होटल और सेवॉय होटल आदि कई ऐसे होटल हैं जहाँ रहने की सुन्दर व्यवस्था है। इसके अतिरिक्त होलीडे होम, सर्किट हाऊस, सार्वजनिक निर्माण विभाग का विश्राम-गृह, वन विभाग का विश्राम-गृह और जुला परिषद का विश्राम-गृह भी सैलानियों के लिए उपलब्ध किये जा सकते हैं। यहाँ के ऊनी वस्र प्रसिद्ध है। लाला बाजार और चौक बाजार इसके केन्द्र हैं। वाकई इसके सौंदर्य की जितना भी व्याख्या की जाये उतनी ही कम है। यहाँ की ताज़ी हवा, चीड़ के वृक्षों का साया, घने जंगल और उन जंगलों से गुज़ारना मानो सारी थकान चुटकी भर में दूर कर देती हो। अगर आप भी अल्मोड़ा आने की सोच रहे हैं तो इस वेकेशन आपके पास एक अच्छा मौका है प्रकृति की बाँहों में कुछ पल बिताने का। अल्मोड़ा में मकान लकड़ी के बनाये जाते हैं जो कि पहाड़ियों की ढलान पर होते हैं। तो इतना सोचिये मत हम आपको बताते हैं अल्मोड़ा में कब कहाँ जाएँ बस एक नज़र में।

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# नैना देवी मंदिर

नैना देवी मंदिर की दीवारों पर रची गई मूर्तियां देखने लायक हैं। यह मंदिर धार्मिक महत्ता के साथ साथ अपनी आकर्षक रौनक के लिए भी पर्यटकों के बीच लोकप्रिय है। अल्मोड़ा के मुख्य बाज़ार के बीच में यह मंदिर पड़ता है जो कि बताया जाता है कि सैंकड़ों वर्ष पुराना है।

# ब्राइट एवं कॉर्नर

ब्राइट एवं कॉर्नर अपने मनमोहक दर्शयों के लिए पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यहाँ से सूर्योदय और सूर्यास्त का दिलकश नज़ारा पर्यटकों को अपनी और खींचता है। इसकी चोटी से आप बर्फ से ढके हिमालय के अद्भुत दृश्यों को अपनी आँखों में कैद कर सकते हो।

# चितई मंदिर

चितई मंदिर अपनी लोकप्रियता का एक जीता-जागता उदाहरण है जो पर्यटकों की आस्थाओं का प्रतिक है। हज़ारों की तादाद में लोग यहाँ अपनी मुरादें लेकर आते हैं और अपनी मन्नतों को पूरा करने का अनुरोध भी करते हैं। यह मंदिर लोक देवता गोल्ल का है जो की श्रद्धालुओं के बीच खासा लोकप्रिय है।

# कटारमल

कटारमल में देश का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण सूर्य मंदिर है जो कि कोणार्क के सूर्य मंदिर की तरह लोकप्रिय है। बताया जाता है कि यह मंदिर 800 साल पुराना है। हालांकि इस समय यह मंदिर खंडहर की हालत में है परन्तु इसका महत्त्व पर्यटकों को यहाँ तक खींचे लिए आता है।

# जागेश्वर

जागेश्वर मंदिर कलात्मक शैली का बहुत ही खूबसूरत प्राचीन मंदिर है जो कि स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना है। इस मंदिर को द्वादश ज्योर्तिलिंग में एक माना जाता है। इसी के कुछ ही दूरी पर एक खूबसूरत पहाड़ी है जिसे 'हरी झंडी' के नाम से जाना जाता है आप इस मंदिर के दर्शन करने के बाद यहाँ आकर पिकनिक मना सकते हैं।

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# बिनरस

बिनरस मंदिर का शांत वातावरण पर्यटकों को खींचे लिए आता है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण चंद्रवंशी राजा कल्याण ने करवाया था। अगर आप भी मन की शांति चाहते हैं तो यहाँ अवश्य आएं।

# कोसी

कोसी बेहद खूबसूरत एक रमणीक स्थल है। पर्यटकों को यहाँ का शांत वातावरण इतना भाता है कि वह घंटों तक यहीं ठहर जाते हैं। यह रमणीक स्थल अल्मोड़ा से तक़रीबन 13 किलोमीटर दूर है।

# बागेश्वर

बागेश्वर में बागनाथ का मंदिर पर्यटकों के बीच खासा लोकप्रिय है। यह सरयू नदी के तट पर बसा है कहा जाता है कि इस मंदिर को 1450 में बनवाया गया था। अगर आप यहाँ की सैर करना चाहते हैं तो आपको बतादें कि यहाँ खाने पीने की उत्तम व्यवस्था है।

# बैजनाथ

बैजनाथ प्राचीन तत्व के मंदिरों के समूण की एक श्रंखला है। जहाँ भगवान शिव, पार्वती और गणेश के मंदिर दर्शनीय हैं। बताया जाता है कि यह मंदिर 12 वीं 13 वीं शताब्दी के हैं जिसे कत्यूरी वंश के राजाओं ने बनवाया था। इन मंदिरों की कलात्मक शैली और इनकी स्थापत्य कला बेजोड़ है।

# अल्मोड़ा कैसे जाएँ

निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम है, जो अल्मोड़ा से 91 किलोमीटर दूर है। दिल्ली,हावड़ा, बरेली, रामपुर आदि शहरों से यहाँ के लिए नियमित रूप से ट्रेनें चलती हैं। काठगोदाम से अल्मोड़ा के लिए स्थानीय बसें व टेक्सी सेवाएं उपलब्ध हैं। सड़क मार्ग - समीपवर्ती प्रदेशों से अल्मोड़ा के लिए राज्य परिवहन निगम की सीधी बस सेवाएं उपलब्ध हैं। हल्द्वानी, काठगोदाम और नैनीताल से नियमित बसें अल्मोड़ा जाने के लिए चलती हैं। ये सभी बसे भुवाली होकर जाती हैं। भुवाली से अल्मोड़ा जाने के लिए रामगढ़, मुक्तेश्वर वाला मार्ग भी है। परन्तु अधिकांश लोग गर्म पानी के मार्ग से जाना ही उत्तम समझते हैं। क्योंकि यह मार्ग काफी सुन्दर तथा नजदीकी मार्ग है।

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