बेहद दिलचस्प है कुतुबमीनार से जुड़ी ये 5 बातें, जानें इनके बारे में
By: Anuj Fri, 10 Apr 2020 10:30:29
क़ुतुब मीनार जिसका नाम जहँन में आते ही हमारा दिल और दिमाग हमें दिल्ली की और ले चलता है।दिल्ली की शान में चार चाँद लगा देने वाली यह मीनार 20 मीटर ऊंची दुनिया की सबसे बड़ी ईटों की मीनार है और मोहाली की फ़तेह बुर्ज के बाद भारत की दूसरी सबसे बड़ी मीनार है। दिल्ली के दक्षिण इलाक़े में महरौली में स्थापित यह इमारत हिंदू-मुग़ल वास्तुकला का एक अद्भुत उदाहरण है। यूनेस्को द्वारा यह भारतीय पौराणिक धरोहर वैश्विक धरोहरों की सूची में भी शामिल है। चलिए आज हम इस वैश्विक धरोहर की दिलचस्प बातों पर एक नज़र डालते हैं, जिनको अब तक अपने में समेटे हुए यह इमारत शान से खड़ा है।
दुनिया की सबसे ऊंची ईद की इमारत-कुतुब मीनार की ऊंचाई 72।5 मीटर है। इसमें 379 सीढ़ियां है, जो मीनार के शिखर तक पहुंचती हैं। जमीन पर इस इमारत का व्यास 14।32 मीटर है, जो शिखर तक पहुंचने पर 2।75 मीटर रह जाता है। इस इमारत की स्थापत्य कला देखने में भव्य लगती है। कुतुब कॉम्प्लेक्स में घूमने पर एक 10 मिनट की फिल्म भी दिखाई जाती है, जिसमें कुतुब मीनार और कुतुब कॉम्प्लेक्स में स्थित अन्य इमारतों के बारे में कई दिलचस्प बातें जानने को मिलती हैं।
थोड़ा सा झुका हुआ
भारत की यह सबसे उँची इमारत बिल्कुल सीधी नहीं खड़ी है, बल्कि थोड़ी सी झुकी हुई है, जिसका कारण है इस इमारत में कई बार मरम्मत का काम होना।
कुतुब कॉम्प्लेक्स में हैं कई ऐतिहासिक इमारतें-क़ुतुब मीनार कई बड़ी ऐतिहासिक इमारतों से घिरा हुआ है और ये सभी कुतुब कंपलेक्स के अंतर्गत आती हैं। इस कांप्लेक्स में दिल्ली का लौह स्तंभ, कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद, अलाई दरवाजा, इल्तुतमिश की कब्र, अलाई मीनार, अलाउद्दीन का मदरसा और कब्र, इमाम जमीन की कब्र और सेंडरसन का सन डायल जैसी इमारतें हैं, जिन्हें देखना सैलानियों को विशेष रूप से आकर्षित करता है।
क्षतिग्रस्त मीनार
फिरोज शाह तुगलक के शासन के दौरान, मीनार के दो शीर्ष बिजली के कारण क्षतिग्रस्त हो गए थे लेकिन फिरोज शाह द्वारा फिर से उनकी मरम्मत करवाई गयी। सन् 1505 में, मीनार भूकंप से क्षतिग्रस्त हो गया था जिसकी मरम्मत सिकंदर लोदी ने करवाई थी।
कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद
कुतुब मीनार के बगल में ही स्थित है कुव्वत-उल-इस्लाम। इसे भारत में बनी पहली मस्जिद माना जाता है। इसका अर्थ है 'इस्लाम की शक्ति'। इस इमारत का निर्माण मूल रूप से इस्लाम की ताकत जाहिर करने के लिए किया गया था। इस मस्जिद का निर्माण हिंदू मंदिर की नींव पर किया गया। अगर आप यहां घूमें तो यह चीज आप यहां स्पष्ट रूप से देख सकती हैं।