Janmashtami 2019: इस मंदिर में भगवान देते है आधी रात को दर्शन, लगता है भक्तों का जमावड़ा

By: Ankur Sat, 24 Aug 2019 3:42:09

Janmashtami 2019: इस मंदिर में भगवान देते है आधी रात को दर्शन, लगता है भक्तों का जमावड़ा

आज भाद्रपद कृष्ण अष्टमी हैं जिसे पूरे देश में कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता हैं। आज का दिन कृष्ण जन्म के रूप में आयोजित किया जाता हैं और सभ मंदिरों में झाकियां सजाई जाती हैं। रात के समय में कृष्ण के बाल स्वरूप बालगोपाल की पूजा-अर्चना की जाती हैं और प्रसाद ग्रहण कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता हैं। आज जन्माष्टमी के इस खास मौके पर हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में मान्यता हैं कि आधी रात को भगवान कृष्ण यहां दर्शन देते हैं। हम द्वारिकाधीश मन्दिर की बात कर रहे हैं और इसी के बारे में बताने जा रहे हैं।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार 5000 वर्ष पूर्व भगवान कृष्ण ने मथुरा छोड़ने के बाद गुजरात के द्वारका में अपनी नयी नगरी बसाई थी। कहा जाता है कि बाद में भगवान की बसार्इ द्वारका समुद्र में डूब गई थी, परंतु जिस स्थान पर उनका निजी महल 'हरि गृह' था वहीं पर वर्तमान प्रसिद्ध द्वारकाधीश मंदिर बना है। कहा जाता है कि इस स्थान पर मूल मंदिर का निर्माण भगवान कृष्ण के प्रपौत्र वज्रनाभ ने करवाया था। कृष्ण भक्तों की दृष्टि में यह एक महान् तीर्थ है। हर साल जन्माष्टमी पर यहां विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है।

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समय के साथ मंदिर की प्राचीन इमारत काफी जीर्ण क्षींण हो गर्इ और समय समय पर मंदिर का विस्तार और जीर्णोद्धार होता रहा। मंदिर का वर्तमान स्वरूप इसे 16वीं शताब्दी में प्राप्त हुआ था। सबसे पहले मंदिर के आराध्य देव द्वारिकाधीश को आसोटिया के समीप देवल मंगरी पर एक छोटे मंदिर में स्थापित किया गया था। बाद में उन्हें कांकरोली के नवीन भव्य मंदिर में लाया गया। द्वारिकाधीश मंदिर से लगभग 2 किमी दूर एकांत में रुक्मिणी का मंदिर है। एक कथा के अनुसार माना जाता है कि दुर्वासा ऋषि के शाप के कारण उन्हें एकांत में रहना पड़ा। द्वारका नगरी आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित देश के चार धामों में से एक है। यही नहीं ये पवित्र सप्तपुरियों में से एक भी मानी जाती है।

हर साल जन्माष्टमी पर द्वारिकाधीश मन्दिर में विशेष पूजा का आयोजन होता है, जिसके लिए मध्य रात्रि में मंदिर के कपाट भक्तों के दर्शन के लिए खोले जाते हैं। सामान्य रूप से मंदिर को शयन आरती के बाद भगवान को भोग लगा कर रात नौ बजे पट बंद हो जाते हैं। जन्माष्टमी के दिन इस नियम का अपवाद होता है और रात्रि 12 बजे भगवान कृष्ण का विशेष जन्मोत्सव पूजन आयोजन होता है। जिसमें भगवान के जन्म से लेकर उन्हें आसन पर विराजमान करने के बाद आरती की जाती है। इस सारे कार्यक्रम के लिए लोगों के दर्शन हेतु मंदिर के पट आधी रात से 2.30 बजे तक खुले रहते हैं।

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