आप शायद ही जानते होंगे जयपुर के हवामहल से जुड़ी ये 5 बातें

By: Anuj Mon, 13 Apr 2020 4:16:05

आप शायद ही जानते होंगे जयपुर के हवामहल से जुड़ी ये 5 बातें

राजस्थान में कई ऐतिहासिक किले और महल अब तक शान से खड़े हैं, जिनकी वास्तुकला की चर्चा पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं। राजस्थान में हर किले और महल के वास्तुकला की अपनी ही एक अलग पहचान और शान है। हवामहल में ऐसा क्या है जो आज भी लोगों और वैज्ञानिकों के लिए रहस्य बना हुआ है। हवा महल को वास्तुकारों ने लाल चंद ने डिजाइन किया था। यह महल राधा और कृष्ण को समर्पित है। लेकिन क्या इस बारें में जानते है कि यह इस इमारत में ऐसा क्या है।

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गुड़, मेथी और जूट से बनी हवामहल की दीवारें

हवामहल बनाने में लगी निर्माण सामग्री की अलग कहानी है। चूने को पीसकर इसकी लुगदी में बजरी, सुर्खी और गुड़ डाला जाता था और इसके बाद हल्की छिली हुई जूट और मेथी पीसकर पाउडर के रूप में डाला जाता था और इस मसाले से झरोखे-खिड़की बनाई जाती थी। निर्माण सामग्री में अलग-अलग स्थानों पर शंख, नारियल, गोंद और अण्डे का ऊपरी भाग (शेल) का भी उपयोग हुआ। प्रतापसिंह ने जब महल की भरपूर प्रशंसा सुनी तो लालचन्द उस्ता को बुलाकर जयपुर के निकट एक गांव इनाम में दे दिया। 1779 में बने इस हवामहल को लालचन्द उस्ता ने दो सौ कारीगर लगाकर खड़ा किया।

आकार


हवा महल, सर के ताज के आकर में बना हुआ है, जो भगवन श्रीकृष्ण के सर के ताज की तरह प्रतीत होता है। कहा जाता है कि सवाई प्रताप सिंह भगवान श्री कृष्ण के प्रति अत्यंत श्रद्धा भक्ति भाव रखते थे, जिसकी वजह से उनहोंने इस महल को उनके ताज का आकर दिया।

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हवा महल बनाने का उद्देश्य

यूं तो हवा महल को बनाने का कोई खास मकसद नहीं था लेकिन शाही परिवार की महिलाओं के मनोरंजन को ध्यान में रखकर ये महल बनाया गया। ताकि राजघराने की महिलाएं बिना किसी डर के पर्दा प्रथा का पालन करते हुए बाजरों और महल के आसपास होने वाले उत्सवों का आनंद ले सके।

अलादीन के चिराग से की तुलना

हवामहल की खिड़कियां एक कतार में ऐसी बनाई गई हैं कि मानो लगता है एक ही चौखट पर बैठाई गई हों।खिड़कियों के बीच दीवार केवल आठ इंच चौड़ी है। एक जैसी खिड़कियां और झरोखे और उस पर पत्थर की जालियां ऐसी सुन्दर हैं, जिसे देखकर प्रसिद्ध ब्रिटिश उपन्यासकार सर एडविन लेस्टर ने कहा है कि अलादीन का चिराग जिसके बारे में यह मशहूर है कि कुछ भी कर सकता था, हवामहल देखकर हैरान हो जाता।

ठाकुर प्रहलाद सिंह लिखते हैं कि हवामहल कई उद्देश्यों को लेकर बनाया गया। यह महल और मन्दिर दोनों ही है। यहां सिटी पैलेस में घुटन के बाद ताजा हवा में रानियां सांस लेती। हिंजड़ों को रानियों के साथ आने की इजाजत थी।

हवामहल के नाम में छुपा एक मतलब


हवामहल का मतलब है कि हवाओं की एक जगह। यानी कि यह एक ऐसी अनोखी जगह है, जो पूरी तरह से ठंडा रहता है। हवामहल को साल 1799 में महाराज सवाई प्रताप सिंह ने बनवाया था। इस पांच मंजिला इमारत को बहुत ही अनोखे ढंग से बनाया गया है। यह ऊपर से तो केवल डेढ़ फुट चौड़

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