कोरोना की यह स्टडी डराने वाली, 5 साल से छोटे बच्चों में 100 गुना अधिक वायरस
By: Ankur Fri, 31 July 2020 7:13:14
कोरोना वायरस का बढ़ता खतरा जगजाहिर हैं और पूरी दुनिया इस खतरे का सामना कर रही हैं। कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा लगातार बढ़ता ही जा रहा हैं। दुनिया के कई शहरों में कम्यूनिटी ट्रांसमिशन यानी सामुदायिक प्रसार की बात भी सामने आई है। ऐसे में लगातार कोरोना से जुड़ी रिसर्च की जा रही हैं ताकि इसको और पहचान संक्रमण पर लगाम लगाईं जा सकें। ऐसे में एक डराने वाली रिसर्च सामने आई हैं जो कि 5 साल से छोटे बच्चों से जुड़ी हैं। इस रिसर्च के अनुसार छोटे बच्चों में 100 गुना अधिक वायरस का खतरा हैं।
पहले इस संबंध में कुछ अध्ययन हो चुके हैं कि क्या बच्चे कोरोना वायरस का वाहक हो सकते है, क्या व्यस्क की तुलना में अधिक संक्रामक हो सकते हैं। इस संबंध में बहुत ज्यादा जानकारी स्पष्ट नहीं थी। लेकिन गुरुवार को आई एक स्टडी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि व्यस्कों की तुलना में बच्चे अधिक संक्रमण फैला सकते हैं, खासकर पांच साल से छोटे बच्चे, जिनमें वायरस के 100 गुना अधिक होने की संभावना रहती है।
जेएएमए पीडियाट्रिक्स (JAMA Pediatrics) ने गुरुवार को एक स्टडी रिपोर्ट में यह दावा किया है कि पांच साल से छोटे बच्चों के नाक में किशोरों, युवाओं या वयस्कों की तुलना में कोरोना वायरस के जेनेटिक मेटेरियल 10 से 100 गुना तक अधिक होते हैं। इसका मतलब यह है कि छोटे बच्चे सामुदायिक संक्रमण(Community Transmission) का बड़ा वाहक हो सकते हैं।
शोधकर्ताओं ने 23 मार्च से 27 अप्रैल के बीच अमेरिका के शिकागो में 145 मरीजों के नोजल स्वैब के जरिए यह शोध अध्ययन किया, जिनमें एक हफ्ते से कोरोना के लक्षण थे। इस अध्ययन में मरीजों के समूह को तीन हिस्सों में बांटा गया था। इनमें पांच साल से कम उम्र के 46 बच्चे थे, वहीं 51 प्रतिभागियों की उम्र 5 से 17 साल के बीच थी और 48 लोग 18 से 65 साल की उम्र के थे।
एन एंड रोबर्ट एच लूरी चिल्ड्रेन हॉस्पिटल के डॉ। टेलर हील्ड सर्जेंट के नेतृत्व में यह अध्ययन किया गया। शोधकर्ताओं की टीम ने पाया कि छोटे बच्चों के ऊपरी श्वांस नली में कोरोना वायरस 10 से 100 गुना तक अधिक थे। टीम ने अपनी रिपोर्ट में लैंप स्टडी का हवाला देते हुए कहा है कि जेनेटिक मैटिरियल जितनी अधिक होती है, उतना ही अधिक संक्रमण फैलता है।
मालूम हो कि पहले भी विशेषज्ञ कह चुके हैं कि अधिक वायरल लोड वाले बच्चे अधिक संक्रमण फैला सकते हैं। इस रिपोर्ट में शोधकर्ताओं ने कहा कि छोटे बच्चे सामान्य आबादी में कोरोना वायरस के अहम वाहक हैं। मालूम हो कि यह रिपोर्ट स्वास्थ्य विशेषज्ञों की उन मान्यताओं के ठीक उलट है, जिनमें यह कहा गया जा रहा था कि बच्चे इस वायरस से गंभीर रूप से कम बीमार पड़ते हैं और दूसरों को अधिक संक्रमित नहीं करते हैं।
इससे पहले साउथ कोरिया में हुई एक रिसर्च स्टडी में पाया गया था कि 10 से 19 साल के बच्चों ने घर में व्यस्कों की तरह ही संक्रमण फैलाया, लेकिन 9 साल से कम उम्र के बच्चों ने कम संक्रमण फैलाया है। इस अध्ययन ने पुराने अध्ययनों को खारिज किया है। हालांकि कम्यूनिटी ट्रांसमिशन में बच्चों की भूमिका पर और अध्ययन की जरूरत है।
बच्चों से संक्रमण फैलने की ज्यादा संभावना वाली यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है, जब अमेरिका में स्कूल और डे केयर सेंटर खोलने पर जोर दिया जा रहा है। हालांकि इस अध्ययन का सैंपल साइज (145 प्रतिभागी) कम हैं और विशेषज्ञों के मुताबिक अभी इस पर पर्याप्त शोध की जरूरत है।
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