‘केसरी’: अक्षय पर फोकस रहता है कैमरा, दूसरे किरदारों को किया नजरअंदाज
By: Geeta Sat, 23 Mar 2019 1:09:58
करण जौहर (Karan Johar) निर्मित और अनुराग सिंह (Anurag Singh) निर्देशित फिल्म ‘केसरी (Kesari)’ ने होली के मौके पर बम्पर ओपनिंग लेते हुए रिकॉर्ड बनाया है। फिल्म की दर्शकों के साथ-साथ समीक्षकों ने भी भरपूर तारीफ की है। फिल्म के संवादों को लेकर कहा जा रहा है कि बहुत ही दमदार और भारी संवाद लिखे गए हैं। संवाद अच्छे हैं लेकिन कितने हैं उंगलियों पर इन्हें गिना जा सकता है। अनुराग सिंह ने अपना 100 प्रतिशत देने का प्रयास किया है, यह सही है लेकिन उनका पूरा फोकस सिर्फ अक्षय कुमार पर रहा है। पूरी अवधि के दौरान कैमरा अक्षय को अपने में समेटता नजर आया। यही उनकी सबसे बड़ी कमजोरी रही है।
#Kesari is solid on Day 2... Decline on a working day - after a holiday - is common, but the decline is less this time... Will score big numbers on Day 3 and 4... Is chasing a huge total in its *extended weekend*... Thu 21.06 cr, Fri 16.70 cr. Total: ₹ 37.76 cr. India biz.
— taran adarsh (@taran_adarsh) March 23, 2019
अक्षय कुमार (Akshay Kumar) ने अपने किरदार में पूरी मेहनत की है। अनुराग को उसके दूसरे साथियों के किरदार पर भी गम्भीरता के साथ लेखन करना चाहिए था विशेष रूप से फिल्म के अन्तिम किरदार जिसे उन्होंने 19 वर्ष का बताया है। भगवान सिंह नामक किरदार को वे अक्षय कुमार के साथ ईमानदारी के साथ डवलप करते तो फिल्म में कुछ और रोचक दृश्य दर्शकों को देखने को मिल सकते थे।
मध्यान्तर तक फिल्म ऊबाउ है। इस दौरान कई दृश्य ऐसे हैं जिनको देखकर लगता है कि वो जबरदस्ती फिल्म में डाले गए हैं। कुछ दृश्यों को लम्बा खींचा गया है। फिल्म में एक प्रसंग ऐसा भी आता है जब अक्षय कुमार को उसका साथी बताता है कि खबरी कई दिनों से आया है वो नीचे बस्ती में रहता है। इसके तुरन्त बाद अक्षय कुमार अपने उस साथी के साथ बस्ती में टहलते नजर आते हैं। मध्यान्तर के बाद जब अफगानी पठान सारागढ़ी पर हमला बोलते हैं उस दौरान दूर तक फैले मैदानी इलाके को कैमरे की दृष्टि से दिखाया जाता है लेकिन उस बस्ती का कोई चिह्न कैमरे की नजर में नहीं आता है। सवाल उठता है कि क्या अफगानी पठानों ने हमले से पहले वह बस्ती नष्ट कर दी थी या फिर निर्देशक अपनी पटकथा की सहूलियत और दर्शकों की सहानुभूति पाने के लिए सिखों द्वारा मस्जिद के निर्माण के दृश्य फिल्माये। ऐसी कुछ और बातें हैं जो दर्शकों के जेहन में आती हैं लेकिन दर्शक मध्यान्तर के बाद तेजी से घटित होते घटनाक्रम में इस कदर डूब जाता है कि वो इन चीजों पर ध्यान ही नहीं देता है।