महिलाओ के सोलह श्रृंगार
By: Pranjal Mon, 27 Mar 2017 11:12:00
भारत में चैत्र शुक्ल तृतीया का दिन गणगौर पर्व के रूप में
मनाया जाता है। हिन्दू समाज में यह पर्व विशेष तौर पर केवल स्त्रियों के
लिए ही होता है। गणगौर आने के 10 दिन पहले ही घर की सुहागन महिलाएं अपने
रूप को सुन्दर बनाने के लिए बहुत कुछ करती है। ऐसा कहा जाता है कि दुल्हन
वही जो पिया मन भावे। इस दिन घर की सभी महिलाये 16 श्रृंगार करती है
जिससे वो सबसे खूबसूरत दिख सके। तो आइये जानते है एक सुहागन महिलाओ के 16
श्रृंगार में क्या क्या चीज़े आती है जिससे वह घर परिवार में लोगो के बीच
आकर्षण का केंद्र बनी रहती है।
1. मांग टीका - महिलायें जब भी श्रृगांर करती है तो वह सबसे पहले मांग
टीका धारण करती है। क्योंकि यह पति के द्वारा प्रदान किये गये सिंदूर का
रक्षक होता है। ललाट तक लटकता हुआ मांग टीका अंतिम छोर तक दोनों
भवों के नीचे पहुंचता है, जहां पर पुरूष तिलक लगाते हैं इसलिए इसलिए इसे
मांग टीका कहा जाता है।
2. बिंदिया - हर महिला के सुहागन होने का
प्रतिक मानी जाती है माथे की बिंदिया। यह लाल रंग की माथे पर सजी हुई बहुत
सुन्दर लगती है। जहा माथे पर यह बिंदी लगी होती है वह पर ईस्वरीय ऊर्जा के
रूप में हमारे संचित संस्कार केन्द्रीत करती है।
3. काजल - नारी
की आखो के सुंदरता का राज़ काजल होता है। बिना काजल आँखे सुंदर नज़र नही
आती है। महिलाओ की आँखों की उपमा हिरन की आँख के सामान या मछली की आँख के
सामान दी जाती है। जहा पर काजल बुरी नजर से बचाता है वहीं पर यह आपकी
सुंदरता में चार चांद लगा देता है।
4. नथ - नाक में पहना जाने वाला यह आभूषण खूबसूरती में चार चाँद लगा देता है। यह अलग अलग परंपरा व रस्मों रिवाज
में छोटा-बड़ा आकार में पहना जाता है।
इसलिए कील या नथुनी के रूप में जीवन पर्यन्त इस आभूषण को धारण करना एक
सुहागन के लिए अति आवश्यक माना जाता है।
5. सिन्दूर -
नारी की सुंदरता और सर का ताज होता है सिन्दूर। सिंदूर के बिना समस्त
प्रकार के श्रृंगार अधूरे माने जाते हैं। एक चुटकी भर सिंदूर से दो लोग
जन्मों के साथी बन जाते हैं।
6. मंगलसुत्र - यह भारतीय परंपरा है कि स्त्री को कभी भी खाली गले से नहीं
रहना चाहिए। इसके लिए सबसे आदर्श मंगलसूत्र माना जाता है। जो कि एक ऐसा
धागा होता है जिसे पहनने के बाद हर चीज मंगलमय होती है। कोई
भी स्त्री इस धागे से तभी अलग होती है जब उसका पति उसका साथ छोड़ कर चला
जाता है।
7. कानो के झुमके - नारी की खूबसूरती को बढ़ाने
में कानो के झुमके भी बहुत महत्पूर्ण होते है। वाकई में कान के श्रृंगार
के बिना नारी की
सजावट फीकी रहती है।
8. मेंहदी - ऐसा कहा जाता है की महेंदी का
रंग जितना गहरा होता है उतना ही आप के साजन आप को प्यार करते है। महेंदी
के रंग की तुलना साजन के प्यार से की जाती है। इसलिए 16 श्रृंगार में
महेंदी भी सुहागनों की पहली पसन्द बनी रहती है। मेहंदी की सोंधी खुशबू से
लड़की का घर-आंगन तो महकता ही है साथ ही
लड़की की सुंदरता में भी चार चांद लग जाते हैं। इसलिए कहा भी जाता है कि
मेहंदी बिना दुल्हन अधूरी होती है।
9.चूड़िया और कंगन - लाल रंग की चूड़िया तो मन की चंचलता को दर्शाती हैं।
वैसे भी जब तक दुल्हन के हाथ में चूड़ियां और कंगन खनकते नहीं हैं तब तक
एहसास नहीं होता कि दुल्हन घर आ गयी हैं। बहुत ही खूबसूरत श्रृंगार में
शामिल कंगन और चूड़ी केवल महिलाओं को ही नहीं रिझाते बल्कि पुरूषों का भी
दिल चुराते हैं।
10. गजरा - बालों की खूबसूरती को और भी
निखारने का काम गजरा बखूबी निभाता है। जब तक बालों में सुगंध नहीं होगी तब
तक आपका घर नहीं महकेगा।
फूलों की सुंगध मन को तरोताजा और ठंडा रखती है।
11. बाजूबंद -
बाजार में सोने के अलावा,चांदी और मोतियों से बने बाजूबंद आज बाजार में
मौजूद है। इससे पहनने से नारी के हाथो की शोभा ही नही वह खूबसूरत भी नज़र
आती है।
12. अंगुठी - अंगुठी दायें हाथ की अनामिका में पहनीं जाती हैं।
अंगुठी में लगे सीसे से दुल्हन जब चाहे अपनी सूरत निहार सकती है। इससे उसके
मन अपने पति की छवि बनीं रहती है। आजकल बाजारों में अंगुठी के नये नये
डिजायन मौजूद हैं। जिन्हें आप अपनी पसंद और क्षमता के आधार पर खरीद सकते
हैं।
13. कमरबंद - कमरबंद को तगड़ी भी कहते हैं। साड़ी या लहॅगें पर पहनने जाने वाली कमरबंद नारी की सुंदरता पर चार चाँद लगा देती है।
14. पायल - दुल्हन अपने घर की गृहलक्ष्मी होती है। पायल चांदी की होती है। चांदी चंद्रमा की
धातु है, चंद्रमा शरीर में मन का कारक होता है। पाजेब में बजने वाले घुंघरू
मन को भटकने से रोकते हैं। और पूरे परिवार को शांति औऱ घूंघरू की तरह एक
में पिरोकर रखने की शक्ति देते हैं। इसलिए पायलों की छम-छम को बहुत सुंदर
माना जाता है।
15. बिछिया - पांवो में अंतिम आभूषण के रूप में बिछिया पहनी जाती है। दोनों पांवों
की बीच की तीन उंगलियो में बिछिया पहनने का रिवाज है। महिला के सारे
श्रृंगार बिछिया और टीका के बीच में होते हैं। सोने का टीका और चांदी की बिछिया
का भाव ये होता है कि आत्म कारक सूर्य और मन कारण चंद्रमा दोनों की कृपा
जीवनभर निरन्तर बनी रहे।
16. वस्त्र - सुहागन नारी की
सुंदरता में आखरी श्रृंगार होता है उसके वस्त्र। नारी इस दिन अधिकतर लाल
रंग की साडी पहन कर गणगौर माता की पूजा करने जाती है। जिसमे वो पूरी
सुहागन मूरत लगती है।