पूजा के दौरान बर्तनों का विशेष महत्व, जानें कौनसी धातु ले इस्तेमाल में
By: Ankur Fri, 31 May 2019 08:10:42
भगवान के प्रति आस्था दर्शाते हुए और उनसे आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए हर भक्त पूरे मन से भगवान की भक्ति करता है। लेकिन अक्सर देखा गया है कि भक्ति करने के बाद भी कई व्यक्तिओं को उसका लाभ नहीं मिल पाता हैं जिसका कारण बनती हैं पूजा के दौरान की गई उनकी गलतियाँ। खासतौर से यह गलती पूजा के बर्तनों को लेकर होती हैं क्योंकि पूजा के दौरान हर धातु का अपना विशेष महत्व माना गया हैं। आज हम आपको पूजा के दौरान इस्तेमाल की जाने वाली धातु से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी देने जा रहे है। तो आइये जानते है इसके बारे में।
तांबा मंगलस्वरूप और पूजा के लिए होता है पवित्र
तांबे को सभी धातुओं में सबसे शुद्ध माना गया है। अगर आपके पास कोई अन्य धातु का पात्र नहीं तो आप तांबे से बने पात्र का प्रयोग कर सकते हैं। तांबे से आप सभी भगवान को जल अर्पित कर सकते हैं। केवल शनि भगवान को कभी भी तांबे के पात्र से जल न दें। ऐसा कर के आप उन्हें कुपित कर सकते हैं। तांबे के चम्मच, प्लेट और लोटे का प्रयोग पूजा में करना श्रेष्ठकर होता है। माना जाता है कि तांबे से शुद्ध और कोई धातु है तो वह सोना है। इसलिए सोने की जगह तांबे का प्रयोग करें। सूर्य को तांबे के पात्र में जल देना जितना श्रेष्ठकर होता है उतना ही अनिष्टकारी शनि की पूजा में होता है। इसके पीछे यही माना जाता है कि सूर्य और शनि एक दूसरे के शत्रु माने गए हैं।
चांदी शुद्ध लेकिन पूजा के लिए नहीं
यह बात सही है कि चांदी बहुत ही शुद्ध और स्वच्छ मानी जाती है लेकिन पूजा के लिए नहीं। चांदी में खाना खाना या चांदी में रखा समान बहुत ही उच्च माना जाता है। ये स्वास्थ्य के लिहाज से भी बेहतर है लेकिन पूजा में इसका प्रयोग नहीं होता। चांदी पितरों के लिए प्रिय होती है। इसलिए इसे भगवान की पूजा में प्रयोग नहीं करते। लेकिन अपवाद स्वरूप केवल चंद्रमा की पूजा में चादी को श्रेष्ठकर माना गया है।
लोहे से बस इनकी होती है पूजा
लोहा वैसे तो पूजा के लिए बिलकुल सही धातु नहीं माना गया है, लेकिन अपवाद स्वरूप लोहा केवल शनि भगवान की पूजा में प्रयोग होता है। शनि भगवान की पूजा में अगर लोहे का प्रयोग किया जाए तो वह बहुत ही शुभकारी और फलदायी मानी जाती है।
भूल कर भी न करें इन धातु का प्रयोग
भगवान की पूजा में कभी स्टील, एल्युमीनियम, जस्ता जैसे धातुओं का प्रयोग न करें। क्योंकि ये न तो शुद्ध मानी जाती हैं न तो किसी भगवान कि विशेष पूजा में प्रयोग के लिए निमित्त हैं। इसलिए इनसे दूरी बनाएं।