नवरात्रि स्पेशल : दूसरे दिन होती है ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा, जानें इसकी पूर्ण विधि
By: Ankur Thu, 11 Oct 2018 11:49:28
नवरात्रि का त्योहार हमारे देश में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता हैं। आज नवरात्रि का दूसरा दिन हैं और आज के दिन माँ दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा की जाती हैं, जिससे भक्तों को अनन्त फल की प्राप्ति होती हैं। अगर मातारानी का पूजन पूरी आस्था और पूर्ण विधि के साथ किया जाए तो भक्तों को इसका पूरा लाभ मिलता हैं। इसलिए अज हम आपके लिए मातारानी के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा की पूर्ण विधि लेकर आए हैं, जो आपको मातारानी का आशीर्वाद दिलाएगी। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।
* पूजा विधि :
देवी ब्रह्मचारिणी जी की पूजा में सर्वप्रथम माता की फूल, अक्षत, रोली, चंदन, से पूजा करें तथा उन्हें दूध, दही, शर्करा, घृत, व मधु से स्नान करायें व देवी को प्रसाद अर्पित करें। प्रसाद के पश्चात आचमन और फिर पान, सुपारी भेंट कर इनकी प्रदक्षिणा करें। कलश देवता की पूजा के पश्चात इसी प्रकार नवग्रह, दशदिक्पाल, नगर देवता, ग्राम देवता, की पूजा करें। देवी की पूजा करते समय सबसे पहले हाथों में एक फूल लेकर प्रार्थना करें-
"इधाना कदपद्माभ्याममक्षमालाक कमण्डलु। देवी प्रसिदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्त्मा।।"
इसके पश्चात् देवी को पंचामृत स्नान करायें और फिर भांति भांति से फूल, अक्षत, कुमकुम, सिन्दुर, अर्पित करें देवी को अरूहूल का फूल व कमल बेहद प्रिय होते हैं अत: इन फूलों की माला पहनायें, घी व कपूर मिलाकर देवी की आरती करें।
* मां ब्रह्मचारिणी का स्रोत पाठ :
तपश्चारिणी त्वंहि तापत्रय निवारणीम्। ब्रह्मरूपधरा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥
शंकरप्रिया त्वंहि भुक्ति-मुक्ति दायिनी। शान्तिदा ज्ञानदा ब्रह्मचारिणीप्रणमाम्यहम्॥
* मां ब्रह्मचारिणी का कवच :
त्रिपुरा में हृदयं पातु ललाटे पातु शंकरभामिनी। अर्पण सदापातु नेत्रो, अर्धरी च कपोलो॥
पंचदशी कण्ठे पातुमध्यदेशे पातुमहेश्वरी। षोडशी सदापातु नाभो गृहो च पादयो।
अंग प्रत्यंग सतत पातु ब्रह्मचारिणी।।