भूल से भी न करें अधिकमास में ये कार्य, असफलता थामेगी आपका दामन

By: Ankur Fri, 18 Sept 2020 08:02:13

भूल से भी न करें अधिकमास में ये कार्य, असफलता थामेगी आपका दामन

आज से अधिकमास की शुरुआत हो चुकी हैं जो कि हर तीसरे साल में आता हैं। नियत समय की बात की जाए तो 32 महीने, 16 दिन और 4 घंटे के अंतर पर अधिकमास आता हैं जो की सूर्य वर्ष और चंद्र वर्ष की अवधि में अंतर से पनपता हैं। 18 सितम्बर से शुरू होकर यह 16 अक्टूबर तक जारी रहने वाला हैं। इसे मलमास, मलिम्लुच मास, पुरुषोत्तममास और खरमास के नाम से भी जाना जाता हैं। खरमास का अर्थ होता है खराब महीना। इस महीने में सभी मांगलिक और शुभ कार्य वर्जित होते हैं अन्यथा असफलता आपका दामन थाम लेती हैं। आज हम आपको कुछ महत्वपूर्ण कार्यों के बारे में बताने जा रहे हैं जो अधिकमास में नहीं किए जाने चाहिए।

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विवाह आदि कार्य वर्जित

खरमास में विवाह आदि शुभ कार्यों पर भी पांबदी होती है। माना जाता है कि इस वक्‍त में किए गए विवाह आदि कार्यों में किसी भी प्रकार के सुख की प्राप्ति नहीं होती। इस प्रकार के रिश्‍ते में किसी प्रकार के शारीरिक सुख की भी प्राप्ति नहीं होती। ऐसे रिश्‍तों पति-पत्‍नी में अनबन रहती है। अगर विवाह करना है तो या तो अधिक मास से पहले करें या फिर उसके बाद करें।

मंगल कार्य मुंडन आदि न करें

इस अवधि में किए गए कार्यों के मंगल परिणाम नहीं आते हैं। इसलिए अधिक मास में कोई भी मुंडन और कर्णवेध या फिर अन्‍य कोई संस्‍कार नहीं करना चाहिए। इस महीने में कोई गृह प्रवेश भी नहीं करना चाहिए। इस अवधि में कोई भी संपत्ति का क्रय या फिर विक्रय नहीं करना चाहिए। ऐसी संपत्ति भविष्‍य में आपका नुकसान करवा देती है।

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नया व्‍यवसाय आरंभ न करें

अधिक मास में नया व्यवसाय या नया कार्य आरंभ न करें। मलमास में नया व्यवसाय आरंभ करने से आर्थिक परेशानियों को बढ़ावा मिलता है। व्‍यापार में पैसों की तंगी बनी रहती है। इसलिए नया काम, नई नौकरी या बड़ा निवेश करने से बचें।

क्‍या करना शुभ

इस माह में व्रत, दान, पूजा, हवन, ध्यान करने से पाप कर्म समाप्त हो जाते हैं और किए गए पुण्यों का फल कई गुणा प्राप्त होता है। देवी भागवत पुराण के अनुसार मलमास में किए गए सभी शुभ कर्मों का अनंत गुना फल प्राप्त होता है। इस माह में भागवत कथा श्रवण की भी विशेष महत्ता है। पुरुषोत्तम मास में तीर्थ स्थलों पर स्नान का भी महत्त्व है।

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