देवउठनी एकादशी: भूलवश भी ना करें ये काम, अगले जन्म तक भुगतना पड़ेगा इनका कष्ट

By: Ankur Fri, 08 Nov 2019 07:49:07

देवउठनी एकादशी: भूलवश भी ना करें ये काम, अगले जन्म तक भुगतना पड़ेगा इनका कष्ट

हिन्दू धर्म में एकादशी का बड़ा महत्व माना जाता हैं और आज तो देवउठनी एकादशी हैं जिसमें 1 हजार अश्वमेघ यज्ञ का फल प्राप्त होता हैं। मान्यता हैं कि कार्तिक मास के शुक्‍ल पक्ष की एकादशी को भगवान श्रीहरि चतुर्मास की लंबी निद्रा के बाद जागते हैं। इस दिन से 4 महीने के लंबे अंतराल के बाद शुभ मांगलिक कार्यों की शुरुआत भी हो जाती है। लेकिन जितना इस एकादशी का फल प्राप्त होता हैं उतना ही इसमें सावधानी भी बरतनी पड़ती हैं क्योंकि इस दिन किए गए इन गलत कामों का कष्ट आपको अगले जन्म तक भुगतना पड़ सकता है। तो आइये जानते हैं उन काम के बारे में जो देवउठनी एकादशी के दिन भूलवश भी ना किए जाने चाहिए।

ना तोड़े तुलसी का पत्ता

एकादशी तिथि खास तौर पर देवोत्थान एकादशी के दिन तुलसी का पत्ता नहीं तोड़ना चाहिए। इस दिन देवी तुलसी और भगवान विष्णु के शालिग्राम रूप का विवाह हुआ था इसलिए इस दिन तुलसी माता को चुनरी ओढ़ाना चाहिए। तुलली के पौधे के नीचे दीप जलाना चाहिए। द्वादशी तिथि को पारण तुलसी के पत्तों से करना चाहिए, इसके लिए तुलसी पत्ता व्रती को स्वयं नहीं तोड़ना चाहिए। बच्चे या बुजुर्ग जिन्होंने व्रत ना किया हो उनसे पत्ता तोड़ने के लिए कहना चाहिए।

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ऐसे नरक में मिलेगा स्‍थान

भगवान विष्णु को एकादशी का व्रत सबसे प्रिय है। पुराणों में बताया गया है कि इस दिन जो व्रत में ना रहें, उन्हें भी प्याज, लहसुन, मांस, अंडा जैसे तामसिक पदार्थ का सेवन नहीं करना चाहिए। इस तिथि में शारीरिक संबंध से भी परहेज रखना चाहिए। जो इन नियमों को नहीं मानता है उन्हें यमराज का कठोर दंड भोगना पड़ता है। अगले जन्म में भी इसका दंड भोगना पड़ता है।

चावल का प्रयोग वर्जित

शास्त्रों में एकादशी के दिन चावल या चावल से बनी चीजों के खाने मनाही है। मान्यता है कि इस दिन चावल खाने वाला व्यक्ति रेंगने वाले जीव की योनि में जन्म पाता है। लेकिन द्वादशी को चावल खाने से इस योनि से मुक्ति भी मिल जाती है। भगवान विष्णु और उनके किसी भी अवतार वाली तिथि में चावल का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

मदिरा से बनाएं दूरी

एकादशी के दिन मदिरा का सेवन करने से बचना चाहिए। मदिरा मनुष्य को अहंकार की ओर ले जाती है। एकादशी तिथि मनुष्य का अहंकार में रहना सही नहीं है। कंस और रावण की मौत अंहकार के कारण ही हुई थी।

ऐसा करने से नाराज होंगी लक्ष्‍मी माता

एकादशी के दिन मन को शांत रखें और अपने बुजुर्गों का अनादर ना करें। हिंदू धर्म एकादशी को पवित्र दिन माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन घर में शांति और सद्भाव बनाए रखने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। इसलिए भूलकर भी घर के शुद्ध वातावरण को खराब न होने दें और कलह से बचें।

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