विक्रम लैंडर ने चांद की सतह पर की दोबारा लैंडिंग, इसरो ने कहा जंप टेस्ट

By: Shilpa Mon, 04 Sept 2023 2:02:44

विक्रम लैंडर ने चांद की सतह पर की दोबारा लैंडिंग, इसरो ने कहा जंप टेस्ट

बेंगलूरू। सोमवार 4 सितम्बर को चंद्रयान-3 ने चांद से फिर खुशखबरी भेजी। चंद्रयान-3 चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने का बाद से रोज नए रिकॉर्ड बना रहा है। चंद्रयान-3 चांद के साउथ पोल पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला अंतरिक्ष यान बन चुका है। अब ISRO ने विक्रम लैंडर को एक बार फिर से चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करवा कर फिर अपनी काबिलियत को साबित किया है।

दोबारा लैंडिंग क्यों?


23 अगस्त को जब चंद्रयान -3 ने सफलता पूर्वक चांद पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराइ तो उसके बाद यही सवाल सबके मन में था कि विक्रम लैंडर वहां अपने उद्देश्य को पूरा कर पाएगा की नहीं। लेकिन विक्रम लैंडर ने अपने मिशन के सभी उद्देश्यों को पूरा कर लिया है। विक्रम ने एक बार फिर से एक HOP एक्सपेरिमेंट को अंजाम दिया। विक्रम ने अपने इंजन को चालू किया फिर 40 सेंटीमीटर की ऊंचाई तक गया और इसके बाद पहले के स्थान से लगभग 30-40 सेंटीमीटर की दूरी पर जाकर दोबारा से सॉफ्ट लैंड कराया गया।

ISRO ने विक्रम लैंडर के इस गतिविधि का वीडियो एक्स पर शेयर किया है। ISRO ने बताया है कि विक्रम लैंडर के दोबारा चालू करने की ये प्रक्रिया उपग्रहों या फिर भविष्य में मानव मिशन को दुबारा धरती पर लाने की दिशा में महत्वपूर्ण कोशिश है। विक्रम लैंडर द्वारा आज किए गए इस काम से ISRO के मेहनती वैज्ञानिकों का हौसला बढ़ा है कि भारत चंद्रमा की सतह पर उपग्रह उतारने के अलावा उन्हें दुबारा कभी भी धरती पर ला सकता है।

प्रज्ञान रोवर ने अपना काम पूरा किया, स्लीप मोड में डाला गया

इससे पहले इसरो ने 2 सितंबर को बताया था कि प्रज्ञान रोवर ने अपना काम पूरा कर लिया है। इसे अब सुरक्षित रूप से पार्क कर स्लीप मोड में सेट किया गया है। इसमें लगे दोनों पेलोड APXS और LIBS अब बंद हैं। इन पेलोड से डेटा लैंडर के जरिए पृथ्वी तक पहुंचा दिया गया है।

बैटरी भी पूरी तरह चार्ज है। रोवर को ऐसी दिशा में रखा गया है कि 22 सितंबर 2023 को जब चांद पर अगला सूर्योदय होगा तो सूर्य का प्रकाश सौर पैनलों पर पड़े। इसके रिसीवर को भी चालू रखा गया है। उम्मीद की जा रही है कि 22 सितंबर को ये फिर से काम करना शुरू करेगा।

चंद्रयान-3 मिशन 14 दिनों का ही है। ऐसा इसलिए क्योंकि चंद्रमा पर 14 दिन तक रात और 14 दिन तक उजाला रहता है। रोवर-लैंडर सूर्य की रोशनी में तो पावर जनरेट कर सकते हैं, लेकिन रात होने पर पावर जनरेशन प्रोसेस रुक जाएगी। पावर जनरेशन नहीं होगा तो इलेक्ट्रॉनिक्स भयंकर ठंड को झेल नहीं पाएंगे और खराब हो जाएंगे।

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