बांग्लादेश की अदालत में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर लगे संगीन आरोप, स्वयं ने दिए विरोध प्रदर्शन कुचलने के आदेश

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर 2024 के छात्र आंदोलन के दौरान कथित नरसंहार और दमन को लेकर 'मानवता के खिलाफ अपराध' के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। रविवार को अभियोजन पक्ष ने इन आरोपों को लेकर औपचारिक रूप से सुनवाई की शुरुआत की, जिससे 77 वर्षीय नेता के खिलाफ मुकदमे की प्रक्रिया शुरू हो गई है। फिलहाल हसीना भारत में स्वैच्छिक निर्वासन में रह रही हैं।

क्या हैं आरोप?

बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) के मुख्य अभियोजक मोहम्मद ताजुल इस्लाम ने कहा कि उनके पास वीडियो फुटेज और एन्क्रिप्टेड कम्युनिकेशन जैसे पुख्ता सबूत हैं, जो यह दर्शाते हैं कि शेख हसीना ने सीधे तौर पर सुरक्षा बलों, अपनी पार्टी और उससे जुड़े हथियारबंद संगठनों को विरोध प्रदर्शन कुचलने के आदेश दिए।

अभियोजन पक्ष का दावा है कि यह कार्रवाई “पूर्व नियोजित, सुनियोजित और व्यवस्थित” थी। हसीना पर निम्नलिखित आरोप लगाए गए हैं:

—उकसाना

—साजिश रचना

—नरसंहार रोकने में विफलता

—प्रत्यक्ष आदेश देना

—योजनाबद्ध हमले को अंजाम देना

सह-अभियुक्त कौन हैं?

शेख हसीना के साथ इस मामले में बांग्लादेश के पूर्व गृह मंत्री असदुज्ज़मान खान कमाल और तत्कालीन पुलिस प्रमुख चौधरी अब्दुल्ला अल-ममून को भी सह-अभियुक्त बनाया गया है।

क्या हुआ था 2024 में?


जनवरी 2024 में शुरू हुए छात्र आंदोलन ने जल्दी ही राष्ट्रीय जनआंदोलन का रूप ले लिया। नौकरियों में कोटा प्रणाली के खिलाफ शुरू हुए इस विरोध प्रदर्शन ने जल्द ही भ्रष्टाचार, मानवाधिकार उल्लंघन, चुनावी धांधली और हसीना सरकार की सत्तावादी नीतियों के खिलाफ उबाल पकड़ लिया।

अगस्त 5, 2024: देशभर में हिंसक झड़पों और अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच हसीना ने इस्तीफा दिया और भारत में शरण ली।

UN रिपोर्ट: जुलाई से अगस्त 2024 के बीच करीब 1,400 लोगों की मौत हुई।

अक्टूबर 2024: अंतरराष्ट्रीय अपराध ट्रिब्यूनल ने शेख हसीना के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया और भारत से प्रत्यर्पण की मांग की।

विडंबना क्या है?


दिलचस्प बात यह है कि इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल खुद शेख हसीना ने ही 2009 में स्थापित किया था ताकि 1971 के युद्ध अपराधों की जांच की जा सके। उस समय इस ट्रिब्यूनल की आलोचना भी हुई थी कि इसका इस्तेमाल विपक्षी नेताओं को समाप्त करने के लिए किया जा रहा है। अब उसी ट्रिब्यूनल में हसीना स्वयं अभियुक्त के रूप में खड़ी हैं।

वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य


देश में इस समय नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार है, जिसने हाल ही में आवामी लीग पार्टी पर आतंकवाद विरोधी कानून के तहत रोक लगा दी है और जल्द चुनाव की तैयारियां तेज कर दी हैं।

शेख हसीना पर लगे आरोप न केवल बांग्लादेश की राजनीति के लिए ऐतिहासिक हैं, बल्कि यह एक बड़ा मोड़ भी है, जहां सत्ता के उच्चतम शिखर पर बैठा नेता आज न्याय के कठघरे में खड़ा है। आने वाले दिनों में यह मुकदमा बांग्लादेश की लोकतांत्रिक दिशा और वैश्विक छवि को प्रभावित कर सकता है।