
इजराइल और ईरान के बीच पिछले कई दिनों से भारी तनाव और टकराव की स्थिति देखने को मिल रही थी, जो धीरे-धीरे सैन्य टकराव की ओर बढ़ता जा रहा था। ऐसी आशंका पहले से जताई जा रही थी कि इजराइल किसी भी वक्त ईरान पर बड़ा हमला कर सकता है। ठीक वैसा ही हुआ—शुक्रवार तड़के सुबह इजराइल ने ईरान पर अचानक हमला कर दिया है। इस हमले के बाद से ही यरुशलम और अन्य प्रमुख शहरों में सायरन की आवाजें गूंज रही हैं, जिससे आम लोगों में दहशत का माहौल बन गया है। वहीं दूसरी ओर, इजराइल सरकार ने देशभर में आपातकाल (इमरजेंसी) घोषित कर दी है ताकि किसी भी संभावित जवाबी हमले से निपटा जा सके। दोनों देशों ने फिलहाल अपने-अपने एयरस्पेस पूरी तरह से बंद कर दिए हैं, जिससे अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर भी असर पड़ा है।
इजराइली हमले के जवाब में ईरान ने शुक्रवार को देश के प्रमुख एयरस्पेस, विशेष रूप से राजधानी तेहरान के बाहर स्थित इमाम खुमैनी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उड़ानों पर रोक लगा दी है। इससे पहले भी, जब इजराइल-हमास युद्ध चरम पर था, तब ईरान ने कई बार एयरपोर्ट्स बंद किए थे। इजराइल द्वारा किए गए ताजा हमलों में खासतौर से ईरान के परमाणु ठिकानों और सैन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर को निशाना बनाया गया है। इसके साथ ही इजराइल ने भी अपने नागरिक और सैन्य एयरस्पेस को सुरक्षा के लिहाज से पूरी तरह से बंद कर दिया है।
इजराइल की तरफ से यह हमला ऐसे समय में किया गया है जब ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर वैश्विक स्तर पर चिंता बढ़ती जा रही है। अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स ने गुरुवार को बीते 20 वर्षों में पहली बार ईरान की कड़ी निंदा की है, जो एक बड़ा कूटनीतिक कदम माना जा रहा है। इसके जवाब में ईरान ने अपनी मंशा स्पष्ट करते हुए कहा है कि वह अब तीसरा संवर्धन (enrichment) स्थल स्थापित करेगा और मौजूदा सेंट्रीफ्यूज को अधिक उन्नत तकनीक वाले सेंट्रीफ्यूज से बदलेगा, जिससे यूरेनियम संवर्धन की क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी।
अमेरिका को परमाणु हथियार से क्या खतरा?इजराइल और ईरान के बीच का यह विवाद कोई नया नहीं है, बल्कि कई वर्षों से चला आ रहा है। इजराइल लगातार यह कहता आया है कि वह ईरान को किसी भी कीमत पर परमाणु हथियार नहीं बनाने देगा। हालांकि, ईरान समय-समय पर यह दावा करता रहा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह शांतिपूर्ण है और इसका उद्देश्य सिर्फ बिजली उत्पादन और मेडिकल साइंस के क्षेत्र में प्रयोग करना है। लेकिन अमेरिका और इजराइल को पूरा संदेह है कि ईरान गुपचुप तरीके से परमाणु हथियार बनाने की योजना पर काम कर रहा है, जो पूरी दुनिया के लिए गंभीर खतरे की घंटी है।
ईरान को परमाणु हथियार न बनाने देने की सबसे बड़ी वजह यह है कि अगर वह ऐसा कर लेता है तो खाड़ी देशों, इजराइल और अमेरिका की सुरक्षा के लिए यह एक बहुत बड़ा खतरा बन सकता है। अमेरिका को इस बात की चिंता है कि एक परमाणु संपन्न ईरान पूरे मिडिल ईस्ट क्षेत्र की शक्ति संतुलन को बिगाड़ सकता है। यही कारण है कि अमेरिका भी ईरान के परमाणु विकास को रोकने के लिए कूटनीतिक और सैन्य दबाव बनाए रखता है।
तेल की कीमतों में उछालअमेरिका और ईरान के बीच परमाणु समझौते को लेकर जारी बातचीत और इजराइल के साथ बनते सैन्य तनाव के चलते वैश्विक तेल बाजार में भारी अस्थिरता देखी जा रही है। इस नए तनाव के बीच ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतें अचानक $69.70 प्रति बैरल तक पहुंच गईं—जो इस साल की अब तक की सबसे बड़ी एक दिन की तेजी है। इस बढ़ोतरी से न केवल तेल आयातक देशों पर असर पड़ेगा, बल्कि इससे विश्व अर्थव्यवस्था में भी अनिश्चितता बढ़ सकती है।
अमेरिका ने पहले ही हटाए ईरान से सैनिकइजराइल और ईरान के बीच बीते एक सप्ताह से लगातार तनाव बढ़ता जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स में बार-बार यह खबर आ रही थी कि इजराइल जल्द ही ईरान पर हमला कर सकता है। इस आशंका को और अधिक बल तब मिला जब अमेरिकी राष्ट्रपति ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि अमेरिका मिडिल ईस्ट के कुछ देशों से अपने सैनिकों को धीरे-धीरे हटा रहा है, क्योंकि वहां हालात बेहद खतरनाक हो सकते हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को यह भी संकेत दिया कि आने वाले दिनों में अमेरिका क्षेत्र में अपने सैन्य तैनाती के स्वरूप में बड़ा बदलाव कर सकता है।