बकरीद पर भी नफरत से बाज नहीं आए जनरल मुनीर, एलओसी पर पहुंच भारत के खिलाफ भड़काया सैनिकों को

ईद-उल-अजहा जैसे पवित्र अवसर पर जहां भारत में अमन और भाईचारे की मिसाल देखने को मिली, वहीं पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने एक बार फिर भारत विरोधी बयानबाज़ी से माहौल बिगाड़ने की कोशिश की। एलओसी पर सैनिकों के बीच पहुंचकर मुनीर ने भारत के खिलाफ ज़हर उगला और कश्मीर को लेकर पुराने राग को दोहराते हुए सैनिकों को भड़काया। हाल ही में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए तनावपूर्ण हालातों की पृष्ठभूमि में उनका यह रवैया दोनों देशों के बीच शांति की संभावनाओं को और कमजोर करता है।

पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर एक बार फिर अपनी भारत विरोधी बयानबाज़ी के कारण चर्चा में हैं। बकरीद के मौके पर वह नियंत्रण रेखा (LoC) पर अग्रिम चौकियों का दौरा करने पहुंचे और वहां तैनात सैनिकों से बातचीत की। इस दौरान उन्होंने न केवल पाकिस्तान की कश्मीर नीति को दोहराया, बल्कि भारत के खिलाफ ज़हर उगलते हुए सैनिकों को भी उकसाया।

पाकिस्तानी सेना के मीडिया विंग ISPR के अनुसार, मुनीर ने जवानों का हौसला बढ़ाने की कोशिश की, लेकिन उनके भाषण में भारत को लेकर आक्रामकता साफ झलक रही थी। उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान ने हालिया संघर्ष में भारत को “मुंहतोड़ जवाब” दिया और अपनी सैन्य क्षमताओं का सफल प्रदर्शन किया।

जनरल मुनीर ने कश्मीर को लेकर पाकिस्तान की “मूल नीति” का हवाला देते हुए कहा कि उनका देश “कश्मीरियों का समर्थन” करता रहेगा। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से भी अपील की कि वह कश्मीर मुद्दे को “संवेदनशीलता से” लें। यह बयान भारत की उस स्पष्ट नीति के विपरीत है, जिसमें जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को भारत का आंतरिक और अविभाज्य हिस्सा बताया गया है।

यह पूरा मामला तब और अधिक अहम हो जाता है जब हम हाल की घटनाओं पर नज़र डालें। 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की जान गई थी, जिसके जवाब में भारत ने 7 मई को पाक और पीओके में आतंकी ठिकानों पर जवाबी हमला किया था। इस जवाब में पाकिस्तान की सेना ने जवाबी कार्रवाई की कोशिश की, लेकिन भारत की सटीक और प्रभावशाली सैन्य कार्रवाई से वह पस्त हो गया। चार दिनों तक सीमित युद्ध जैसी स्थिति बनी रही, जिसके बाद 10 मई को दोनों देशों के डीजीएमओ स्तर पर बातचीत के बाद तनाव कम हुआ।

भारत पहले ही साफ कर चुका है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उसके अभिन्न अंग हैं और उन पर किसी भी बाहरी टिप्पणी या दावा को पूरी तरह अस्वीकार किया जाएगा।