क्या आप जानते हैं 'ग्रेट बैरियर रीफ' का यह रहस्य, क्यों कहते हैं 'पानी का बगीचा'

समुद्र के अंदर का जीवन और उसकी सुंदरता जानने की सभी को ललक होती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि समुद्र के अंदर एक ऐसी जगह हैं जिसे 'पानी का बगीचा' कहा जाता हैं। हम बात कर रहे हैं दुनिया की सबसे बड़ी और विलक्षण मूंगे की चट्टानों के लिए मशहूर जगह 'ग्रेट बैरियर रीफ' के बारे में। यहां की सुंदरता और रहस्य बेहद चौकाने वाले हैं। यह ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड में बनी हैं। इस दीवार की लंबाई लगभग 1200 मील और चौड़ाई 10 मील से 90 मील तक है। हालांकि यह कई जगहों पर टूटी हुई है और इसका अधिकांश भाग जलमग्न है। यह यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर घोषित है।

दरअसल, प्रवाल भित्तियों को दुनिया के सागरीय जैव विविधता का उष्णस्थल (हॉटस्पॉट) माना जाता है। इन्हें समुद्रीय वर्षावन भी कहा जाता है। आमतौर पर प्रवाल कम गहराई पर ही पाए जाते हैं, क्योंकि अधिक गहराई पर सूर्य के प्रकाश और ऑक्सीजन की कमी होती है।

प्रवाल भित्तियां या मूंगे की चट्टानें समुद्र के भीतर स्थित प्रवाल जीवों द्वारा छोड़े गए कैल्शियम कार्बोनेट से बनी होती हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया के सर्वाधिक प्रवाल हिंद-प्रशांत क्षेत्र में पाए जाते हैं। भारत की अगर बात करें तो मन्नार की खाड़ी, लक्षद्वीप और अंडमान निकोबार आदि द्वीप भी प्रवालों से ही निर्मित हैं।

दुनिया की सबसे बड़ी और प्रमुख अवरोधक प्रवाल भित्ति 'ग्रेट बैरियर रीफ' को 'पानी का बगीचा' भी कहते हैं, क्योंकि यह देखने में इतना खूबसूरत लगता है कोई भी इसे देखकर हैरान रह जाता है। दुनियाभर से लोग ग्रेट बैरियर रीफ को देखने के लिए आते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, ऑस्ट्रेलिया को हर साल इससे करीब 42 हजार करोड़ रुपये की आय होती है।

हालांकि जलवायु परिवर्तन की वजह से 'ग्रेट बैरियर रीफ' को काफी नुकसान पहुंच रहा है। माना जा रहा है कि 2050 तक रीफ पूरी तरह नष्ट हो जएगी। हालांकि ऑस्ट्रेलियाई सरकार इसे बचाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है।