वृद्धाश्रम, महिला आश्रम नहीं ये है पत्नी पीड़ित पतियों का आश्रम, जाने इसके बारे में

आपने दुनिया में कई आश्रमों के बारे में सुना होगा जो कि किसी पीड़ित को सुविधा प्रदान करने के लिए बनाये जाते हैं। भारत में कई तरह के आश्रम बने हुए हैं जैसे वृद्धाश्रम, महिला आश्रम आदि। लेकिन एक ऐसा आश्रम भी हैं जिसे सुनकर कई पतियों के चेहरे पर ख़ुशी की लहर दौड़ जाएगी। जी हाँ, आज हम आपको एक ऐसे आश्रम के बारे में बताने जा रहे हैं जो पत्नी पीड़ित पतियों ने अन्य पीड़ितों के लिए खोला हैं। यह आश्रम ऐसे पीड़ितों के लिए हैं जो कि अपनी पत्नियों से सताए हुए हैं। तो आज हम आपको बताएँगे इस आश्रम के पीछे की पूरी कहानी।

यह आश्रम औरंगाबाद से 12 किलोमीटर दूर शिरडी-मुंबई हाईवे पर स्थित है इस आश्रम मे सलाह लेने वालों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढती जा रही है। अब तक 500 लोग सलाह ले चुके हैं। हाईवे से देखें तो सामान्य घर की तरह दिखने वाले इस आश्रम के भीतर जाते ही अलग अनुभव मिलता है। इस आश्रम में वो लोग रहते हैं जो पत्नी से पीड़ित रहते हैं और ये लोग कौए की पूजा करते है। कौए को ही अपना देवता मानते हैं।

इतना ही नहीं इस आश्रम में रहने के लिए लिए कई शर्त भी माननी पड़ेगी। पहली शर्त की इस आश्रम में दाखिले के लिए पत्नी पीड़ित पुरुष के ऊपर कम से कम 20 मामले दर्ज होने जरूरी हो। दूसरी गुजारा भत्ता ना चुकाने के कारण पत्नी पीड़ित पुरुष जेल जाकर आया हो। इसके अलावा दूसरी शादी का विचार मन मे ना हो और मामला दर्ज होने के बाद नौकरी चली गयी हो।


इस आश्रम के सामने एक हवन कुंड है। जब पत्नी पीड़ित पुरुष अपनी परेशानी लेकर आश्रम में आते है तब वो अपनी समस्या को चिट्ठी में लिखकर आफिस में रखे प्रतीकात्मक कौवे को दिखा कर फिर उसी चिट्ठी को हवन कुंड में डाल कर हवन होता है, पत्नी पीड़ित पुरुष की मान्यता है की इससे उनकी परेशानी जल्द ही दूर हो जाएगी। क्योंकि वो कौवे को अपना देवता मानते है, इसी कौए को पत्नी पीड़ित पुरुष अगरबत्ती जलाकर, फूल चढ़ा कर पूजा करते हैं।

हर शनिवार, रविवार की सुबह 10 से शाम 6 बजे तक पत्नी-पीडितों की काउंसलिंग की जाती है। शुरूआत में केवल शहर और आसपास के लोग आते थे। अब छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश से तकरीबन आश्रम मे सलाह लेने के लिए आ रहे है। अनुभवी वकील के पास जिस तरह केस की डिटेल्स होती है उसी तरह आश्रम के संस्थापक भारत फुलारे गवाह और सबूतों की फाईल बनाते है।

आश्रम के संस्थापक भारत फुलारे खुद पत्नी पीडित होने का दावा करते है। घरेलू हिंसा चार कानून के तहत उनकी पत्नी ने उनपर केस दाखिल किया है। केस के चलते कुछ महिनों तक भारत को शहर के बाहर रहना पड़ा। कोई भी रिश्तेदार उनसे पास जाने से डरता था। कानूनी सलाह भी मिलना मुश्किल हो गया। उसी समय उन्हें तुषार वखरे और दूसरे तीन लोग मिले। सभी लोग पत्नी-पीडित रहने से एक दूसरे को सहारा मिला और कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए मदद मिली। इसके बाद आश्रम बनाने का विचार आया और 19 नवंबर 2016 पुरूष अधिकार दिवस के अवसर पर आश्रम की शुरूआत कर डाली।

पत्नी पीडित पतियों को मदद मिले इसीलिए आश्रम मे ए, बी और सी एेसी तीन कैटेगरीज बनाई गई है। जिस व्यक्ति का पत्नी, ससुरालवालों से उत्पीडऩ होता है और उन्हें डरकर वो सामने नहीं आता, ऐसा व्यक्ति सी कैटेगरी में आता है। जिस व्यक्ति को पत्नी से शिकायत है, लेकिन समाज उसे क्या कहेगा ये सोचकर चुपचाप बैठता है वो बी कैटेगरी में आता है। ए कैटेगरी में निडर को स्थान दिया गया है। जो बिना डरे किसी के भी सामने सत्य परिस्थिति रखता है और मदद की गुहार लगाता है।