याद करके देखिए या दिमाग पर जोर डालिए और सोचिये कि कभी आपने किसी सिख को तंबाकू खाते देखा है। सोचिये-सोचिये, शायद ही आपको कोई ऐसा सिख मिलेगा जो तंबाकू का सेवन करता होगा। दरअसल बात यह है कि सिख तंबाकू खाते ही नहीं हैं।
सिख समाज के धर्म गुरु गोविंद सिंह ने एक ऐसी शिक्षा दी थी, जिसका लोग आज भी अनुसरण करते है। इस शिक्षा को दूसरे धर्मों के अन्य लोग भी मानते हैं। गुरु गोविंद सिंह ने एक बार तंबाकू के पौधों को नष्ट कर दिया था। इस पर एक शिष्य ने चौंकते हुए पूछा था, कि गुुरुजी आप ऐसा क्यों कर रहे हैं, उन्होंने बताया कि शराब से सिर्फ एक ही पीढ़ी को नुकसान होता है। जबकि तंबाकू से कई पीढिय़ां खत्म हो जाती हैं। यही वजह है कि आज भी सिख समाज का कोई भी व्यक्ति तंबाकू नहीं खाता है।
गुरु गोविंद सिंह जी ने 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की तब सिक्खों को बुरी चीजों से बचाने के लिए कुछ नियम बनाए। इनमें से तंबाकू नहीं खाना भी एक था। गुरु गोविंद सिंह जी की दूरदर्शी सोच के कारण आज सिख समाज के लोग काफी सेहतमंद है। इसके साथ ही वे कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां से कई दूरी पर हैं।
आज भी काम आ रही शिक्षाएं- गुरु गोविंद सिंह जी की सीख आज भी समाज के लोग पूरी श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाते हैं।
- यही वजह है कि आपने किसी सिख समाज के व्यक्ति को तंबाकू या अन्य किसी प्रकार का धुम्रपान करते हुए नहीं देखा होगा।
- इस तरह गुरुजी ने समुदाय के लाखों करोड़ों लोगों को गंभीर बीमारियों से दूर रखा है।
- उनकी शिक्षाएं आज भी समाज के लोगों के अच्छाई के रास्तों पर ले जाती है।