अगर हम आपसे सवाल पूछे कि क्या आपने कभी सफेद कौआ देखा है। तो आपका जवाब ना होगा और आप येही कहेंगे कि कौआ तो काला ही होता है। लेकिन ऐसा नहीं है आज हम आपको सफेद कौवे के बारे में बताने जा रहे है। इस सफेद कौवे को मध्य प्रदेश के दतवाड़ा में देखा गया है। इससे पहले साल 2017 में भी सतना में सफेद कौवे को देखा जा चुका है। नर्मदा नदी के किनारे बसे जिस गांव में यह सफेद कौवा देखा गया है वहां के स्थानीय लोगों के मुताबिक बीते तीन दिनों से वह कौआ आसपास घूम रहा है।
हालांकि कौवे का रंग बदला होने के पीछे वैज्ञानिक कारण हैं। सफेद कौआ भी दूसरे काले कौवे जैसा ही होता है लेकिन अनुवांशिक दोष ल्यूसीज्म की वजह से कुछ कौवे का रंग सफेद हो जाता है। दुनिया में कौवे की कई ऐसी प्रजातियां हैं जिनके शरीर पर कहीं ना कहीं सफेद धब्बा होता है। ज्योलॉजी के एक प्रोफेसर के मुताबिक एलबीनीजम प्रक्रिया पूरी नहीं होने के कारण कुछ कौवा मूल रंग का जीव न होकर सफेद रंग का पैदा हो जाता है। कौवे के काले होने के पीछे की कथा
हालांकि पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि पहले कौवे का रंग सफेद हुआ करता था लेकिन एक ऋषि के श्राप की वजह से इसका रंग काला हो गया। मान्यताओं के अनुसार काफी समय पहले एक ऋषि ने एक सफेद कौवे को अमृत ढूंढने भेजा और उसे आदेश दिया कि वो सिर्फ अमृत की जानकारी ला कर दे लेकिन उसे पीना नहीं है। सालों की मेहनत के बाद सफेद कौवे ने अमृत को ढूंढ निकाला लेकिन इतनी मेहनत के बाद उसे भी अमृत पीने की लालसा होने लगी। कौवे ने अमृत पी लिया और उसके बाद इसकी जानकारी साधु को दी।
अमृत पीने की वजह से ऋषि कौवे से क्रोधित हो गए और वचन भंग करने की वजह से उसको श्राप दे दिया। ऋषि ने कहा तूने अपनी अपवित्र चोंच से पवित्र अमृत को जूठा किया है इसलिए लोग तुझसे घृणा करेंगे और अशुभ मानते हुए हमेशा तेरी बुराई करेंगे।
साधु ने यह श्राप देते हुए सफेद कौवे को अपने कमंडल के काले पानी में डुबो दिया जिसके बाद कौवे का रंग काला पड़ गया और तभी से कौवे का रंग काला हो गया।