बीती रात साल का दूसरा चंद्रग्रहण लगा था जो कि उपच्छाया था। यह एक खगोलीय घटना होती हैं। यह रात को 11 बजकर 15 मिनट पर शुरू हुआ था और रात को दो बजकर 34 मिनट पर समाप्त हुआ। ज्योतिष में भी ग्रहण का बड़ा महत्व माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ग्रहण का प्रभाव सिर्फ इंसानों पर ही नहीं बल्कि जानवरों पर भी पड़ता हैं और वे अजीब हरकतें करने लग जाते हैं। इसके पीछे क्या कारण हैं आइये जानते हैं इसके बारे में।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रहण के दौरान मकड़ियों की कुछ प्रजातियों के व्यवहार में अचानक बेचैनी सी हो जाती है और वो अपने ही जाले को तोड़ने लगती हैं और जब ग्रहण खत्म हो जाता है तो वो उसे फिर से बनाना शुरू करती हैं। कुछ ऐसा ही बदलाव पक्षियों में भी हो जाता है। जहां आमतौर पर वो दिनभर इधर से उधर उड़ते फिरते हैं, लेकिन ग्रहण के दौरान वो अचानक अपने घर की ओर लौट जाते हैं।
ग्रहण के दौरान चमगादड़ों में भी बदलाव आता है। ग्रहण के दौरान उन्हें भ्रम हो जाता है कि रात हो गई है और वो उड़ना शुरू कर देते हैं। इसके अलावा सुपर मून के दौरान जब चांद ज्यादा चमकदार होता है तो बत्तखों के व्यवहार में भी बदलाव दिखने लगता है। वैज्ञानिकों ने जंगली बर्फीली बत्तख गीज पर एक शोध किया था और उस दौरान उन्होंने उसके शरीर में एक छोटी सी डिवाइस फिट कर दी तो पाया कि सुपर मून के दौरान बत्तख के दिल की धड़कन बढ़ जाती है। साथ ही उनके शरीर का तापमान भी बढ़ जाता है। हालांकि ग्रहण खत्म होने पर वो अपने आप फिर से ठीक हो जाते हैं।
साल 2010 में हुए एक शोध के मुताबिक, अर्जेंटीना और ब्राजील जैसे देशों में पाई जाने वाली बंदरों की एक प्रजाति, जिसे 'नाइट मंकी' (रात का बंदर) कहा जाता है, चंद्र ग्रहण होते ही डर जाते हैं। जहां आमतौर पर वो पेड़ों पर उछल-कूद मचाते हैं, लेकिन ग्रहण के दौरान उन्हें पेड़ों पर चलने में भी डर लगता है।
आमतौर पर हिप्पोपोटामस, जिसे दरियाई घोड़ा भी कहते हैं, पानी में ही रहते हैं, लेकिन सूर्य ग्रहण के दौरान वो बेचैन होकर सूखे जगहों की ओर चल पड़ते हैं। एक ग्रहण के दौरान जिम्बाब्वे में कुछ ऐसा ही देखा गया था। हालांकि आधे रास्ते में अगर ग्रहण खत्म हो जाता है और रोशनी वापस आ जाती है तो वो वापस लौट आते हैं।