आपने अक्सर लोगों को किसी अपराधी के लिए कहते हुए सुना होगा या आपने भी कभी कहा ही होगा कि उसे तो फांसी दे देनी चाहिए। क्योंकि फांसी की सजा के बाद मृत्यु हो जाती है और उस अपराधी के अपराधों से निजात मिल जाता हैं। इसमें सबसे महत्वपूर्ण काम होता हैं जल्लाद का जो फांसी की सजा को अंजाम देता हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि फांसी देने से पहले जल्लाद कैदी के कान में कुछ कहता हैं और फिर लीवर खींच देता हैं। आप शायद ही जानते होंगे इस राज के बारे में। तो आइये आज हम बताते हैं आपको कि कैदी को फांसी पर लटकाने से पहले आखिर क्या कहता है जल्लाद और फांसी से जुड़े अनजान नियमों के बारे में।
- जब कोर्ट में किसी अपराधी को फांसी की सजा सुनाई जाती है तो पेन की निब तोड़ दी जाती है। जो इस बात का प्रतीक होता है अब उस व्यक्ति का जीवन समाप्त हो गया है।
- वहीं फांसी देते वक्त उस वक्त जेल अधीक्षक, एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट, जल्लाद और डॉक्टर मौजूद रहते हैं। इनके बिना फांसी नहीं दी जाती है।
- फांसी सुबह होने से पहले ही दी जाती है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि सुबह जेल के कैदियों का काम बाधित ना हो। वहीं रात में जेल के कैदी को फांसी देने के बाद परिवार वालों को सुबह अंतिम संस्कार करने के लिए समय भी मिल जाता है।
- साथ ही फांसी देने से पहले कैदी को नहलाया जाता है और नए कपड़े पहनाए जाते हैं। जिसके बाद उसे फांसी के फंदे तक लाया जाता है।
- फांसी देने से पहले व्यक्ति की आखिरी इच्छा पूछी जाती है। जिसमें परिवार वालों से मिलना, अच्छा खाना या अन्य इच्छाएं शामिल होती हैं। जो भी व्यक्ति अपनी जिंदगी खत्म करने से पहले करना चाहता है।
- जिस अपराधी को फांसी दी जाती है उसके आखिरी वक्त में जल्लाद ही उसके साथ होता है। बता देंं, सबसे बड़ा और सबसे मुश्किल काम जल्लाद का ही होता है। फांसी देने से पहले जल्लाद अपराधी के कानों में कुछ बोलता है जिसके बाद वह चबूतरे से जुड़ा लीवर खींच देता हैं।
- दरअसल जल्लाद बोलता है “हिंदूओं को राम राम और मुस्लिमों को सलाम। मै अपने फर्ज के आगे मजबूर हूं। मैं आपके सत्य के राह पे चलने की कामना करता हूं”