हमारे देश को मंदिरों का घर कहा जाता हैं क्योंकि यहाँ कई सारे मंदिर हैं और सभी अपने चमत्कार और रहस्यों के कारण प्रसिद्द हैं। इन सभी मंदिरों में देवी-देवताओं के कई रूप देखने के मिलते हैं, लेकिन क्या आपने कभी किसी मंदिर में देवी-देवताओं की उलटी प्रतिमा देखी हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां भगवान की सीधी मूर्ति की पूजा ना होकर उलटी मूर्ति की पूजा होती है। हम बात कर रहे हैं हनुमान जी के प्राचीन मंदिर के बारे में जो मध्यप्रदेश के इंदौर जिले के सांवेर में हैं। तो आइये जानते हैं इस मंदिर के बारे में।
यहां हनुमानजी की उलटी मूर्ति की पूजा करने के पीछे एक खास रहस्य छिपा है। माना जाता है कि यह मंदिर रामायणकाल के समय का है। इस मंदिर में भगवान हनुमान की उलटे मुख वाली मूर्ति विराजमान है। उलटे हनुमानजी की मूर्ति के पीछे माना जाता है कि रामायण काल में रावण से युद्घ के दौरान अहिरावण ने धोखे से श्रीराम व लक्ष्मण को मूर्छित कर अपने साथ पाताल ले गया तो भगवान हनुमान उन्हें खोजते हुए पाताल लोक चले गए। पाताल लोक में भगवान हनुमान ने अहिरावण से युद्घ करके उसका वध किया था। इस संबंध में माना जाता है कि जहां पर मंदिर बना हुआ है, उसी जगह से भगवान हनुमान पाताल लोक गए थे और उस समय उनके पांव आकाश की तरफ और सिर धरती की ओर था। जिस कारण इन्हें पाताल विजय हनुमान भी कहा जाता है।
सांवेर के उलटे हनुमान मंदिर में एक मुख्य मान्यता यह है कि यदि कोई व्यक्ति तीन मंगलवार या पांच मंगलवार तक इस मंदिर के दर्शनों के लिए लगातार आता है तो उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और उसकी सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है। यहां मंगलवार को हनुमानजी को चोला चढ़ाने की मान्यता भी है। मंदिर में श्रीराम, सीता, लक्ष्मण, शिव-पार्वती की प्रतिमाएं भी विराजमान हैं। मंदिर में स्थित हनुमान जी की प्रतिमा को अत्यंत चमत्कारी माना जाता है। मंदिर में हरसिंगार के दो काफी पुराने पेड़ है, जिनकी उम्र 100 से भी अधिक है।