उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के वाराणसी (Varanasi) के बरियासनपुर गांव में बहू द्वारा अपनी सास की अर्थी देने का मामला सामने आया है। यहां बुधवार को 80 साल की रज्जी देवी का निधन होने पर बहू और परिवार की महिलाओं ने अर्थी को कंधा दिया तो बड़ी बेटी ने मुखाग्नि दी। रज्जी देवी की अर्थी को बहू लालती देवी, बेटी हीरामनी और प्रेमा के साथ परिवार की रेखा, सुधा, सुनीता, अमरावती और महदेई कंधे पर उठाकर ‘जन्म-मृत्यु सत्य है’ बोलते हुए मुख्य सड़क रिंग रोड चौराहे तक ले आईं। वहां से सभी सरायमोहना घाट पहुंचीं, जहां बेटी हीरामनी ने मां की चिता को मुखाग्नि दी।
रज्जी देवी के एकमात्र पुत्र भागीरथ प्रसाद ने बताया कि तेरहवीं पर भोज का कार्यक्रम नहीं होगा यह एक फिजूलखर्ची है। उस दिन पूरा परिवार शोकसभा कर उनकी याद में पौधरोपण करेगा। दरहसल, चिरईगांव इलाके में वर्ष 2018 में संतोरा देवी की मौत होने पर बेटियों को बेटे की बराबरी का दर्ज दिलाने के लिए अंतिम संस्कार में बहू-बेटियों की भागीदारी निभाने की परंपरा शुरू हुई थी। इसी क्रम में बरियासनपुर गांव के हरिचरण पटेल की पत्नी रज्जी देवी के निधन होने पर बहू-बेटियों ने प्राचीन मिथकों को तोड़ने की दिशा में एक और कदम आगे बढ़ाया। इसे ग्राम प्रधान देवराज पटेल और गांव के पुरुषों का समर्थन मिला।