गणेश चतुर्थी के मौके पर देशभर के गणपति मंदिरों में भक्तो का जमावड़ा लगता हैं और सभी गणेश जी की पूजा करते हुए उनका आशीर्वाद ग्रहण करते हैं। गणेश जी की कृपा से आपको सभी काम में सफलता मिलती हैं, इसलिए किसी भी शुभ काम से पहले गणेश जी की पूजा की जाती हैं। मंदिरों में गणेश जी के दर्शन करने से जीवन संवर जाता हैं। लेकिन आज इस कड़ी में हम आपको एक अनोखे गणेश मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां आप दर्शन करने नहीं पहुंच पा रहे हैं तो पोस्टकार्ड भेजकर भी अपनी मन्नत मांग सकते हैं। हम बात कर रहे हैं राजस्थान के सवाई माधौपुर से लगभग 10 किमी की दूरी पर रणथंभौर के किले में बने गणेश मंदिर की। यह देश के उन चंद मंदिरों में है जहां भगवान के नाम डाक आती है।
10वीं सदी में रणथंभौर के किले को मुगलों ने लंबे समय तक घेरे रखा था। किले में राशन का सामान तक ले जाने का रास्ता रोक दिया गया था। तब राजा हमीर को सपने में गणपति आए और उन्होंने उसे पूजन करने को कहा। राजा ने किले में ही ये मंदिर बनवाया। कहते हैं ये भारत का पहला गणपति मंदिर है। यहां की मूर्ति भी भारत की 4 स्वयं भू मूर्तियों में से एक है। राजा की युद्ध में विजय हुई।
यहां पर भगवान गणेश की जो मूर्ति है, उसमें भगवान की तीन आंखें हैं। यहां भगवान अपनी पत्नी रिद्धि और सिद्धि और अपने पुत्र शुभ-लाभ के साथ विराजित हैं। भगवान गणेश के वाहन मूषक (चूहा) भी मंदिर में है। गणेश चतुर्थी पर किले के मंदिर में भव्य समारोह मनाया जाता है और विशेष पूजा अर्चना की जाती है।देश के कई लोग अपने घर में होने वाले हर मांगलिक आयोजन का पहला कार्ड यहां भगवान गणेश जी नाम भेजते हैं। कार्ड पर पता लिखा जाता हैं- श्री गणेश जी, रणथंभौर का किला, जिला- सवाई माधौपुर (राजस्थान)। डाकिया भी इन चिट्ठियों को बड़े ही सम्मान से मंदिर में पहुंचा देता है। जहां पुजारी इस डाक को भगवान गणेश के चरणों में रख देते हैं। मान्यता है कि इस मंदिर में भगवान गणेश को निमंत्रण भेजने से सारे काम अच्छे से पूरे हो जाते हैं।