नवरात्रि के त्यौहार को समाप्त होने में अब तीन दिन ही बचे हैं, ऐसे में सभी भक्तगण माता के दर्शन कर उनको प्रसन्न करना चाहते हैं। अगर आप भी मातारानी का आशीर्वाद लेना चाहते हैं तो आज हम आपको एक ऐसे चमत्कारी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहाँ के दर्शन मात्र से सभी मनोकामनाए पूरी होती हैं। हम बात कर रहे हैं विचित्रा देवी के मंदिर के बारे में।
अलीगढ़-अनूपशहर नेशनल हाईवे-93 से दो किमी पश्चिम दिशा में गांव चौढ़ेरा में मां विचित्रा देवी का विशाल मंदिर स्थित है। मां विचित्रा से दूर-दूर तक के भक्तों की आस्था जुड़ी हुई है। देवी के मंदिर पर नवरात्र के नौ दिनों तक विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। मान्यता है कि मां के दर्शन करने से श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी हो जाती है। दूर-दराज के श्रद्धालु मंदिर पर लगने वाले मेले को लख्खी मेले के नाम से जानते हैं।
वर्ष 1997 में मां विचित्रा देवी के विशाल मंदिर का निर्माण धनीराम गुरु नई दिल्ली वालों ने गांव पड्ररावल में करवाया। उस समय लाला धनीराम अपने द्वारा किए जा रहे किसी भी काम में सफल नहीं हो रहे थे। जिसके बाद उन्हें मां ने दर्शन दिए। मां के दर्शन देने के बाद उनके कार्य सफल हो गए। अपनी मनोकामना पूरी होने पर उन्होंने मां विचित्रा देवी के मंदिर को विशाल रूप देते हुए मंदिर का निर्माण कराया।
मां विचित्रा देवी के मंदिर की पूजा के साथ-साथ बाबा हाथीमान की भी पूजा करना जरूरी होती है। मां विचित्रा देवी के मंदिर के पीछे के हिस्से को हाथीमान के नाम से जाना जाता है। मां के मंदिर के बाहर सीधे हाथ की तरफ एक हवनकुंड बना हुआ है। मां के दर्शन के बाद यादि श्रद्धालु हवनकुंड में सामग्री आदि चढ़ाता है तो उसके मातारानी के दर्शन वास्तविक रूप में पूरे माने जाते है। कहां जाता है कि यहां से श्रद्धालु कभी भी खाली हाथ नहीं लौटा।
मां विचित्रा देवी के मंदिर की वास्तुकला प्राचीन है। मंदिर प्रागंण लगभग तीन बीघा में फैला हुआ है, लेकिन उसमें से मुख्य मंदिर आधा बीघा में स्थापित है। मंदिर में केवल मातारानी की ही प्रतिमा स्थापित है। नवरात्र में प्रत्येक दिन माता रानी का श्रृंगार किया जाता। साथ ही मंदिर में प्रवेश करने के बाद से ही मन को शांति प्रदान होती है।