वैज्ञानिकों ने कर डाला कमाल, बनाया 1000 साल पहले मरी महिला का 'असली चेहरा'

वर्तमान समय को तकनिकी का युग कहा जाता हैं जिसकी मदद से असंभव काम भी संभव होने लगे हैं। ऐसा ही एक चमत्कार वैज्ञानिकों ने हाल ही में किया हैं जिसके मुताबिक उन्होनें 1000 साल पहले मरी महिला के अवशेषों से उसका 'असली चेहरा' तैयार कर लिया है। यह विज्ञान और तकनीक के विकास का एक ऐसा ही नमूना हैं। दरअसल, वैज्ञानिकों ने ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने वाइकिंग महिला के अवशेषों से उसका चेहरा तैयार किया है। वैज्ञानिकों को इस महिला वाइकिंग योद्धा के अवशेष नॉर्वे के सोलोर में मौजूद वाइकिंग कब्रिस्तान में मिले हैं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, कई साल पहले वाइकिंग हुआ करते थे। उनका साम्राज्य मुख्य रूप से लूटपाट के सहारे चलता बढ़ता था। वाइकिंग समुदाय का ताल्लुक नार्वे और आस-पास के क्षेत्र से था, लेकिन लूटपाट के लिए वे लंबे समय तक अपने घरों से दूर रहते थे। वाइकिंग समुदाय में महिला और पुरुष दोनों ही लूटपाट करते थे। ऐसा कहा जा रहा है कि महिला 1,000 साल पहले बिल्कुल वैसी ही दिखती होगी जैसा कि वैज्ञानिकों ने उसका चेहरा बनाया है।

महिला वाइकिंग योद्धा के अवशेषों को ओस्लो के म्यूजियम ऑफ कल्चरल हिस्ट्री में संजो कर रखा जाएगा। वैज्ञानिकों को वाइकिंग महिला की कब्र से कंकाल के अलावा तीर, तलवार, कुल्हाड़ी और भाले के अलावा और भी कई घातक हथियार भी मिले हैं, जिनका इस्तेमाल वाइकिंग लूट के दौरान करते थे।

वैज्ञानिकों को महिला की खोपड़ी पर एक गहरे घाव का निशान भी मिला है, जो उसके माथे पर है। पुरातत्ववेत्ता एला अल-शामही ने बताया कि कब्रिस्तान से मिले अवशेषों को शुरू से ही किसी महिला की मान लिया गया था, लेकिन कब्र को किसी योद्धा की कब्र नहीं माना जा रहा था क्योंकि वह एक महिला की कब्र थी।

अल-शामही के अनुसार, यह बात साफ नहीं है कि माथे पर गहरी चोट के कारण ही महिला की मौत हुई थी या नहीं। किसी वाइकिंग महिला का लड़ाई में चोट के मिलने का यह पहला सबूत है। अल-शामही ने कका कि वो इसे लेकर काफी उत्साहित हैं, क्योंकि यह एक ऐसा चेहरा है, जिसे 1,000 साल से किसी ने नहीं देखा है और जो अचानक से सबके सामने आ गया।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, महिला के चेहरे को वैज्ञानिकों ने फेशियल रिकग्नीशन टेक्नोलॉजी (चेहरा पहचानने वाली तकनीक) की मदद से बनाया है। चेहरे को शरीर की कृतिम मांसपेशियों और त्वचा से ही बनाया गया है। चेहरे को बनाने की प्रक्रिया को एक डॉक्यूमेंट्री के जरिए नेशनल जियोग्राफिक पर तीन दिसंबर को प्रदर्शित किया जाएगा।