दुनिया में चमत्कारों की कोई कमी नहीं हैं। हमने दुनिया में ऐसे कई चमत्कार देखे हैं जिन पर विश्वास करना मुश्किल लगता हैं। खासकर मंदिरों से जुड़े ऐसे कई चमत्कार है इज्नको गिना जाये तो एक लम्बी फेहरिस्त तैयार हो जाये। हर मंदिर से जुदा कोई ना कोई चमत्कार जरूर होता हैं। ऐसे ही चमत्कार के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं जिसमें एक ऐसा मंदिर हैं जिसमें दीपक जलाने के लिए तेल की नहीं बल्कि पानी की जरूरत पड़ती हैं। हो गए ना सोचने पर मजबूर। आइये जानते हैं इस मंदिर के बारे में।
कालीसिंध नदी के किनारे नलखेड़ गांव से लगभग 15 किलोमीटर दूर गड़िया गांव के पास गड़ियाघाट वाली माता जी के नाम से प्रसिद्ध है। लोग यहां होने वाले चमत्कार को देखकर श्रद्धा से शीश झुकाते हैं। इस मंदिर में घी से नहीं अपितु पानी से दीपक जलाया जाता है। जो चीज आग को बुझा देती है। उससे आग कैसे जल सकती है। लेकिन आपको बता दे कि यह सौ प्रतिशत सही है। इस मंदिर में आपको घी, तेल की जरुरत नहीं पड़ती। यह क्रम आज से नहीं बल्कि पिछले 5 सालों से चल रहा है।
दीपक में पानी डालने से यह किसी तरल पदार्थ की तरह चिपचिपा हो जाता है जिस कारण यह लगातार जलता रहता है। जो कि किसी चमत्कार से कम नहीं है! माता जी के इस अद्भुत चमत्कार को देखने के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं। मंदिर में पूजा-अर्चना करने वाले पुजारी सिद्धूसिंह जी का कहना है कि इस मंदिर पर पहले तेल का दीपक जला करता था। परंतु आज से लगभग पांच साल पहले उन्हें माता सपने में में आयी और कहा कि तुम अब दीपक पानी का जलाओ।
जब पुजारी सिद्धूसिंह जी ने पानी से दीपक जलाया तो वह प्रज्वलित हो गया। तब से आज तक कालीसिंध नदी के जल से दीपक जलाया जाता है। कालीसिंध नदी के जल से दीपक जलाया जाता है। बरसात के मौसम में यह दीपक नहीं जलता क्योंकि उस समय पानी का स्तर बढ़ने के कारण मंदिर जलमग्न हो जाता है। जिसके कारण यहां पूजा नहीं होती। शारदीय नवरात्रि के पहले दिन अर्थात पड़वा से पुन: ज्योत प्रज्वलित की जाती है। जो अगली बरसात तक लगातार प्रज्वलित रहती है।