अनोखा मंदिर : जहा नृत्य करते नजर आ रहे है हनुमान जी

भगवान श्री राम के सबसे बड़े भक्त वीर हनुमान को कौन नहीं जानता हैं और उनके भक्तों की भी कोई कमी नहीं हैं। हनुमान जी के लिए ऐसा माना जाता हैं कि वे आज भी इस धरती पर विद्यमान हैं और समय-समय पर अपने भक्तों को दर्शन भी देते हैं। हनुमान जी ही एक ऐसे देवता है जो कलियुग में भक्तों की थोड़ी सी भक्ति में प्रसन्न हो जातें है। हर व्यक्ति हनुमान जी की कृपा की आस रखता हैं और इसके लिए वह कई प्रयास करता हैं और हनुमान जी को खुश करने की कोशिश करता हैं ताकि हनुमान जी खुश हो और उनकी कृपा उन पर बनी रहें जिससे उसके सारे बिगड़े काम बन जाए।

भारत में भगवान हनुमान जी के हजारो मंदिर है, मुख्यत सभी हनुमानजी के मंदिरों में इन्हे गदा के साथ महाबली रूप में दर्शन देते देखा जाता है लेकिन आज हम जिस मंदिर के बारें में बताने जा रहे है उस मंदिर में हनुमान जी के हाथों में गदा नहीं बल्कि वे नृत्‍य करते नजर आ रहे है।

झांसी में एक ऐसा मंदिर है जहां हनुमान जी के हाथों में गदा नहीं बल्कि वे नृत्‍य करते नजर आते हैं। यहां स्‍थापित मूर्ति में हनुमान जी का एक हाथ सिर पर है और दूसरा हाथ कमर पर है। मान्‍यता है कि नाचते हुए हनुमान जी की प्रतिमा को वस्‍त्र नहीं पहनाया जाता है, लेकिन इन्‍होंने वस्‍त्र भी धारण कर रखा है। इनकी रक्षा के लिए मंदिर के बाहर दो दरबानों को भी रखा गया है

रावण का वध होने के बाद नाचने लगे थे हनुमान जी

स्थानीय लोगो के अनुसार इस मंदिर में हनुमानजी के नृत्य करने प्रतिमा के पीछे रामायण की एक कथा है। जब श्री राम ने रावण को लंका में हराके सीता मैय्या को पुनः पाया और फिर अयोध्या लौटकर उनका जब राज्याभिषेक हो रहा तब उनके परम भक्त हनुमानजी से रहा नही गया। वो इतने प्रसन्न हुए की दरबार में सभी के सामने मस्त होकर नृत्य करने लग गये। उसी छवि पर इस मंदिर में यह मूरत लगाई गयी है। इस मूर्ति में हनुमानजी के हाथ में गदा नही है , उनके चेहरे पर मुस्कान है। एक हाथ अपने सिर पर और दूसरा हाथ कमर पर है। झांसी में स्थित यह प्रतिमा इसी खुशी और रूप को प्रदर्शित करती है। भगवान की यह मूर्ति बेहद दुर्लभ है।

झांसी में स्थित यह मंदिर हनुमान मंदिर के नाम से नहीं बल्कि माधवबेडि़या सरकार के नाम से मशहूर है। मंदिर के पुजारी अनूप पाठक बताते हैं कि यह सैकड़ों साल पुराना मंदिर है। इस बात का कोई लिखित प्रमाण तो नहीं है लेकिन इस जगह और मंदिर को इसी नाम से जाना जाता है। पुजारी ने बताया कि मंदिर के बाहर दो दरबानों को भी रखवाया गया है ताकि वो नृत्‍य मुद्रा में विलीन हनुमाज जी की रक्षा कर सकें।

सैकड़ों साल पुराने इस मंदिर में सदैव भक्‍तों का तांता लगा रहता है। बड़ा मंगल पर्व के दौरान यहां सबसे ज्‍यादा भक्‍तों की भीड़ देखने को मिलती है। पुजारी पंडित अनूप बताते हैं कि इस मंदिर में स्‍थानीय लोगों के अलावा दूर-दराज से भी भक्‍तगण दर्शन करने के लिए आते हैं। मान्‍यता है कि इस मंदिर में आकर सच्‍चे मन से भक्‍तों द्वारा मांगी गई सभी मुरादें पूरी होती हैं।

सिर्फ पान और मेवा है पसंद

हनुमान जी की यह प्रतिमा करीब 5 फीट ऊंची है। यह मूर्ति भगवान के नृत्‍य मुद्रा की है। चेहरे पर काफी मुस्‍कुराहट पर प्रतीत होती है। पुजारी अनूप बताते हैं कि इस मंदिर में हनुमान जी को सिर्फ पान और मेवा ही चढ़ाया जाता है। इसके अलावा किसी अन्‍य चीज का प्रसाद भक्‍त नहीं चढ़ाते हैं। सामान्‍य तौर पर अन्‍य मंदिरों में बूंदी के लड्डू चढ़ाए जाते हैं।