आज नवरात्रि का अंतिम दिन हैं और सभी भक्तगण मातारानी की पूजा में लगे हुए हैं। इसी कड़ी में आज हम आपको मातारानी के एक अद्भुत मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे अपने चमत्कारों के लिए जाना जाता हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि मातारानी जिस भी भक्त से प्रसन्न होती हैं उसके मदिरा का भोग ग्रहण करती हैं। हम बात कर रहे हैं राजस्थान के भवाल माता मंदिर की। तो आइये जानते हैं इस चमत्कारी मंदिर के बारे में।
इस मंदिर में देवी के दो रूप विराजमान हैं काली और ब्रह्माणी। बताते है कि देवी के ये दोनों रूप स्वत: प्रकट हुए थे। इन दोनों ही रूपों से जुड़े हुए कई चमत्कार हैं। मंदिर में आने वाले भक्त ब्रह्माणी देवी को मिठाई का भोग चढ़ाते हैं और काली को मदिरा। जो इस मंदिर में दर्शन करने आते हैं, उनका कहना है कि यह सिद्ध चमत्कारी स्थान है। यहां आने वाला कभी निराश होकर नहीं जाता। मदिरा भेंट करने के बारे में कहा जाता है कि इसके लिए पहले से ही प्रसाद बोलना पड़ता है। कार्य सिद्ध होने के बाद फिर उसी मूल्य की भेंट स्वीकार की जाती है।
जब श्रद्धालु इस मंदिर में मदिरा लेकर आता है तो पुजारी उससे चांदी का प्याला भरता है। इसके बाद पश्चात वह देवी के होठों तक प्याला लेकर जाता है। इस समय देवी के मुख की ओर देखना वर्जित होता है। माता अपने भक्त से प्रसन्न होकर तुरंत ही वह मदिरा स्वीकार कर लेती हैं। प्याले में एक बूंद भी बाकी नहीं रहती। पुजारी उस प्याले को पूरा उल्टा कर यह दिखा देता है कि इसमें एक बूंद तक शेष नहीं है। माता उस भक्त से प्रसन्न है।
इस मंदिर में देवी के दो रूप विराजमान हैं काली और ब्रह्माणी। बताते है कि देवी के ये दोनों रूप स्वत: प्रकट हुए थे। इन दोनों ही रूपों से जुड़े हुए कई चमत्कार हैं। मंदिर में आने वाले भक्त ब्रह्माणी देवी को मिठाई का भोग चढ़ाते हैं और काली को मदिरा। जो इस मंदिर में दर्शन करने आते हैं, उनका कहना है कि यह सिद्ध चमत्कारी स्थान है। यहां आने वाला कभी निराश होकर नहीं जाता। मदिरा भेंट करने के बारे में कहा जाता है कि इसके लिए पहले से ही प्रसाद बोलना पड़ता है। कार्य सिद्ध होने के बाद फिर उसी मूल्य की भेंट स्वीकार की जाती है।
जब श्रद्धालु इस मंदिर में मदिरा लेकर आता है तो पुजारी उससे चांदी का प्याला भरता है। इसके बाद पश्चात वह देवी के होठों तक प्याला लेकर जाता है। इस समय देवी के मुख की ओर देखना वर्जित होता है। माता अपने भक्त से प्रसन्न होकर तुरंत ही वह मदिरा स्वीकार कर लेती हैं। प्याले में एक बूंद भी बाकी नहीं रहती। पुजारी उस प्याले को पूरा उल्टा कर यह दिखा देता है कि इसमें एक बूंद तक शेष नहीं है। माता उस भक्त से प्रसन्न है।