शक्ति का रूप माँ दुर्गा भक्तों के लिए बहुत पूजनीय हैं। माँ दुर्गा के विभिन्न रूपों का अपना महत्व हैं और उन सभी की पूजा-अर्चना करने का अपना तरीका। माँ दुर्गा के भक्त पूरे दुनिया भर में है और माँ दुर्गा के मंदिर भी जहां लोग अपने कष्टों के निवारण के लिए मातारानी के पास आते हैं। लेकिन आज हम बताने जा रहे हैं माँ दुर्गा के एक ऐसे मंदिर के बारे में जिसे शापित माना जाता हैं और वहाँ ठहरना खतरे से खाली नहीं। तो आयी जानते हैं इस मंदिर के बारे में।
हम बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश के देवास जिले में स्थित मंदिर की। यहां कुछ लोग आस्थावश आते हैं तो कुछ इसके शापित होने जैसे अंधविश्वास की वजह से यहां आने से परहेज करते हैं। मां दुर्गा के इस प्राचीन मंदिर के साथ बहुत सी कहानियां जुड़ी हुई हैं, कुछ लोग कहते हैं कि यहां मां दुर्गा को बलि चढ़ाना आवश्यक होता है वहीं बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो ये मानते हैं कि यहां किसी औरत की आत्मा भटकती है।
अगर इस मंदिर के इतिहास को खंगाला जाए तो यह बात सामने आती है कि देवास के महाराज ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। लेकिन निर्माण के बाद ही राजघराने में आए दिन कोई ना कोई अशुभ घटना घटने लगी। कलह-क्लेश इतने बढ़ गए कि परिवार के ही लोग एक-दूसरे के खून के प्यासे हो गए। किंवदंतियों के अनुसार राजकुमारी और राज्य के सेनापति के बीच प्रेम संबंध होने जैसी बात जैसे ही फैली वैसे ही उन्हें एक दूसरे से अलग करने की जुगत तेज हो गई। राजा कदापि यह नहीं चाहता था कि उसकी पुत्री एक सेनापति से प्रेम करे, इसलिए उसने राजकुमारी को महल में बंधक बनाकर दोनों को एक-दूसरे से अलग कर दिया। कुछ समय बाद बहुत ही रहस्यमय तरीके से राजकुमारी की मृत्यु हो गई और सेनापति ने भी इसी मंदिर परिसर के भीतर ही आत्महत्या कर ली।
इस घटना के पश्चात राजपुरोहित ने राजा से कहा कि अब यह मंदिर अपवित्र हो चुका है, इसलिए यहां पूजा-अर्चना करने का कोई अर्थ नहीं है। पुरोहित ने कहा कि यहां जो मूर्ति है उसे हटाकर कहीं और प्रतिष्ठित करवाना ही बेहतर है। मंदिर के पुजारी की बात मानकर राजा ने दुर्गा मां की मूर्ति को उज्जैन के बड़े गणेश मंदिर में स्थापित कर दिया। लेकिन इसके बावजूद भी मंदिर में होने वाली बुरी घटनाओं में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं आई। उस दिन से लेकर आज तक इस मंदिर में भिन्न-भिन्न संदेहास्पद गतिविधियां होती हैं, कभी शेर के दहाड़ने की अवाज आने लगती है तो कभी बहुत तेज नाद की आवाज आती है।
लोगों का तो यहां तक कहना है कि दिन ढलने के बाद यहां सफेद साड़ी में लिपटी महिला दिखाई देती है। जो बस बैठी रहती है, किसी से कुछ नहीं कहती। यही वजह है कि सूरज डूबने के बाद यहां कोई भी नजर नहीं आता है। स्थानीय लोगों का यह भी कहना है कि कई बार इस मंदिर को ध्वस्त करने की कोशिश हुई, लेकिन जब-जब यह कोशिश हुई, लेकिन इस मंदिर को तो कुछ नहीं हुआ परंतु जिसने भी यह कोशिश की, उनके जीवन में बुरी घटनाएं होनी शुरू हो गईं। अगर मंदिर में पसरे एकांत का लाभ उठाकर कोई भी यहां अनैतिक कृत्य करने की कोशिश करता है तो उसे निश्चित तौर पर शारीरिक कष्ट उठाने पड़ते हैं।