आखिर क्यों यहां पति के जिंदा होने के बाद भी सुहागन महिलाएं जीती है विधवा की जिंदगी

हर सुहागन महिला चाहती हैं कि वह जीते जी सुहागन रहे। किसी भी महिला के लिए विधवा की जिंदगी जीना बहुत मुश्किल होता हैं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं जहां पति के जिंदा होने के बाद भी सुहागन महिलाएं विधवा की जिंदगी जीती हैं। यूपी के दवरिया का बेलवाड़ा जिले में हर साल तीन महीने का मातम मनाया जाता है। यहां की सुहागनें तीन महीनों तक कोई श्रृंगार नहीं करतीं और विधवाओं जैसा कष्टभरा जीवन जीतीं हैं। तीन महीनों तक एक अजीब सी खामोशी इस गांव में पसरी रहती है। हर तरफ मातम का माहौल छाया रहता है।

इस गांव के लगभग सभी मर्द पेड़ों से ताड़ी निकालने का कार्य करते हैं। ताड़ के पेड़ 50 फिट से भी ज्यादा ऊंचे होते हैं तथा एकदम सपाट होते हैं। इन पेडों पर चढकर ताड़ी निकालना बहुत जोखिम का कार्य होता है। जिसमें कई बार कुछ लोगों की मौत भी हो जाती है।

जब यहां के मर्द इस काम के लिए बाहर निकलते हैं तो उनकी पत्नियां खुद को विधवा बना लेती हैं और विधवाओं जैसा जीवन व्यतीत करने लग जाती हैं। लेकिन अपने पतियों के वापिस आने पर उनका जोरदार स्वागत करती हैं।