अक्सर ऐसा होता हैं कि बीमार होने पर स्टूडेंट्स स्कूल नहीं जा पाते हैं और उनका उस दिन का काम अधूरा रह जाता है जो कि उनके पढ़ाई का नुकसान करता है। ऐसे में जापान के वैज्ञानिक एक ऐसे रोबोट पर काम कर रहे है जो स्टूडेंट्स की जगह स्कूल जा सकेंगे और उनका काम करेंगे। वैज्ञानिकों के मुताबिक, छात्र की जगह रोबोट को क्लास में भेजा जा सकेगा। छात्र हॉस्पिटल या घर से टेबलेट की मदद से उसे कंट्रोल कर सकेंगे। रोबोट कैमरे से कक्षा में बताई गई बातें स्टूडेंट से लाइव साझा करेगा। वे नोट भी बना सकेंगे और लेक्चर समझ सकेंगे। फिलहाल इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया गया है। प्रयोग सफल होने पर इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा।
पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत टोक्यो के बॉर्डर पर स्थित तोमोबे हिगाशी स्पेशल सपोर्ट स्कूल से की गई है। रोबोट का नाम ऑरी है। स्टूडेंट की अनुपस्थिति में ऑरी को डेस्क पर रखा जाएगा। इसके दो हाथ हैं। माथे पर कैमरा लगा है, जो क्लास की एक्टिविटी को लाइव स्टूडेंट तक पहुंचाता है। इसे टेबलेट की मदद से कंट्रोल किया जाता है। हाल ही में इसका सफल प्रयोग भी किया गया है।
इसमें स्पीकर लगाए गए है, जिसकी मदद से स्टूडेंट जो कुछ घर से ही बोलेगा, उसे क्लास में रोबोट ऑडियो के रूप में जारी करेगा। घर पर बैठे-बैठे रोबोट को अलग-अलग दिशाओं में मोड़ा भी जा सकता है। क्लास में टीचर की बातों के आधार पर रोबोट इमोशन भी जाहिर करता है। जैसे कुछ पसंद आने पर यह ताली बजाता है, हाथ से इशारा करता है और हाय-हैलो भी करता है।
11 साल के स्टूडेंट असाही के मुताबिक, इसे इस्तेमाल करना और अलग-अलग दिशाओं में घुमाना काफी मजेदार है। असाही ने इसका इस्तेमाल तब किया था, जब वह हॉस्पिटल में था। स्कूल प्रशासन ने ऐसी स्थिति में रिमोट स्टडी की अनुमति भी दी थी।
स्कूल की प्रिंसिपल नोबोरू ताची के मुताबिक, बच्चे बेहद आसानी से ऑरी को कंट्रोल कर सकते हैं। यह उनके लिए क्लास अटेंट करने जैसा है। हम लोग इस व्यवस्था को पूरी तरह लागू करने पर फोकस कर रहे हैं। इसे तैयार करने वाली कंपनी के सीईओ केंटरो योशीफुजी 10 और 14 साल की उम्र बीमारी के स्कूल नहीं जा पाए थे। इसीलिए उन्होंने ऐसा रोबोट तैयार किया जो ऐसे बच्चों की मदद कर सके।