आपने हमेशा सुना होगा कि अधिकतर चोर रात को ही अपने काम को अंजाम देते हैं ताकि किसी को पता ना चले। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे चोर के बारे में बताने जा रहे हैं जो बेहद शातिर था और दिनदहाड़े चोरी करता था। इसे हिन्दुस्तान का सबसे शातिर चोर माना जाता है और यह चोर अपनी चालाकी से दो महीने तक जज की कुर्सी पर बैठ फैसले भी सुना चुका हैं। हम बात कर रहे हैं धनी राम मित्तल की जिसने 25 साल की उम्र में ही चोरी को अपने पेशा बना लिया था। साल 1964 में उसे पहली बार चोरी करते पुलिस ने पकड़ा था। फिलहाल उसकी उम्र करीब 80 साल हो चुकी है। हालांकि अब किसी को भी नहीं पता कि यह चोर कहां है और कैसा है?
कहा जाता है कि चोरी के इतिहास में सबसे ज्यादा बार गिरफ्तार किया जाने वाले यह पहला और इकलौता चोर है। आखिरी बार उसे साल 2016 में चोरी करते गिरफ्तार किया गया था। हालांकि वह पुलिस को चकमा देकर भाग गया था। कहते हैं कि धनीराम अब तक करीब एक हजार से ज्यादा गाड़ियां चुरा चुका है। सबसे खास बात ये है कि यह चोर सिर्फ दिन के उजाले में ही चोरी की वारदात को अंजाम देता है।
धनी राम मित्तल से जुड़ी एक रोचक कहानी है। कई साल पहले उसे गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया गया था। चूंकि उस समय जो जज थे, वो कई बार उसे अपनी अदालत में देख चुके थे, इसलिए खीझ कर उन्होंने कहा कि तुम मेरी अदालत से बाहर जाओ। इसके बाद वो जाने के लिए उठ गया। उसके साथ आए दो पुलिसकर्मी भी उठकर उसके साथ बाहर चले गए। इसके बाद वो वहीं से गायब हो गया। जब अदालत में उसका नाम पुकारा गया तो पुलिस के हाथ-पांव फूल गए, क्योंकि वो तो भाग चुका था। कहा जाता है कि उसने पुलिसकर्मियों को ये कहा था कि जज साहब ने तो उसे जाने के लिए कहा ही था।
कहते हैं कि धनी राम मित्तल ने एलएलबी की भी पढ़ाई की थी। इसके अलावा उसने हैंडराइटिंग विशेषज्ञ और ग्राफोलॉजी की डिग्री भी हासिल की थी। उसने ये डिग्रियां अपनी चोरी की वारदात को अंजाम देने के लिए हासिल की थी। इन डिग्रियों की बदौलत वह गाड़ी चुराता था और उसके फर्जी कागजात तैयार करके उन्हें बेच देता था।
धनी राम का सबसे रोचक और अजीब कारनामा ये है कि वह दो महीने तक जज की कुर्सी पर बैठकर फैसला सुनाता रहा था और इसके बारे में किसी को पता भी नहीं था। दुनिया में ऐसा कारनामा शायद ही किसी ने किया हो। दरअसल, उसने फर्जी कागजात बनाकर हरियाणा के झज्जर कोर्ट के एडिशनल सेशल जज को करीब दो महीने की छुट्टी पर भेज दिया था और उनके बदले वह खुद जज की कुर्सी पर बैठ गया था। कहा जाता है कि इन दो महीनों में उसने 2000 से ज्यादा अपराधियों को जमानत पर रिहा कर दिया था, लेकिन कईयों को उसने अपने फैसले से जेल भी भिजवाया था। हालांकि बाद में मामले का खुलासा हुआ तो वह पहले ही वहां से भाग चुका था। इसके बाद जिन अपराधियों को उसने जमानत पर रिहा किया था, उन्हें फिर से पकड़कर जेल में डाला गया।