डॉक्टरों का चमत्कार, मारकर वापिस जिंदा करने का निकाला सफल तरीका

अगर हम आपसे कहे अब डॉक्टर मरीज को पहले मारेंगे फिर उसका इलाज करेंगे और वापिस उसको जिंदा भी कर देंगे। यह पढ़कर आपका दिमाग चकरा गया होगा लेकिन यह सच है। ऐसा अमेरिका के डॉक्टरों का दावा है। उन्होंने दावा किया है कि ये परीक्षण 10 लोगों पर सफल रहा है। डॉक्टरों ने दावा किया है कि अगर आप गंभीर रूप से घायल हैं या आपको दिल का दौरा पड़ा है। या आपके सिर में गंभीर चोट है। चिंता न करिए। आप मरकर वापस जिंदा भी हो जाएंगे। है न ये बात आश्चर्यजनक लेकिन यह आश्चर्यजनक कारनामा अमेरिका के बाल्टीमोर शहर के यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड स्कूल ऑफ मेडिसिन सेंटर के डॉक्टर सैम्युएल टिशरमैन और उनकी सर्जिकल टीम ने। कर दिखाया है।

डॉ सैम्युएल टिशरमैन का कहना है कि जब भी मरीज बेहद गंभीर हालत अस्पताल आता है तो डॉक्टरों के पास उसे बचाने के लिए काफी कम समय मिलता है जिसकी वजह से कई बार उसकी मौत भी हो जाती है। लेकिन अगर मरीज को उसी घायल अवस्था में मुर्दा बना दें तो उन्हें उसे ठीक करने का समय मिल जाएगा। डॉ सैम्युएल टिशरमैन ने इस तकनीक को इमरजेंसी प्रिजरवेशन एंड रीससिटेशन ( EPR) नाम दिया है।

डॉ सैम्युएल टिशरमैन का कहना है कि उन्होंने एक किताब में पढ़ा था कि गंभीर रूप से घायल सुअर को तीन घंटे के लिए मार डाला गया, इलाज के बाद उसे फिर से ठीक कर दिया। तभी उनके दिमाग में ये आइडिया आया। क्यों न इंसानों को भी इसी तरह कुछ घंटे मारकर ठीक किया जा सकता। EPR तकनीक में गंभीर रूप से घायल इंसान को 10 से 15 डिग्री सेल्सियस पर रख दिया जाता है। पूरे शरीर के खून के बेहद ठंडे सलाइन से बदल दिया जाता है। खून को निकालकर सुरक्षित रख देते हैं। दिमाग काम करना बंद कर देता है। ऐसी हालात में घायल इंसान मरा हुआ होता है।

डॉ सैम्युएल टिशरमैन ने यही पद्धत्ति अपनाई। उन्होंने अपनी टीम के साथ मिलकर यह परीक्षण 10 लोगों पर किया। अधिकतम दो घंटे के इलाज के बाद डॉ सैम्युएल टिशरमैन ने मरीज के शरीर को वापस 37 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर लाए। शरीर में खून का प्रवाह किया।

जब शरीर को सामान्य तापमान मिला तो उसने काम करना शुरू कर दिया। दिल धड़कने लगा और खून दिमाग में पहुंचने लगा। धीरे-धीरे पूरा शरीर सामान्य हो गया।

अमेरिकी संस्थान यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने डॉ सैम्युएल टिशरमैन को उनका परीक्षण पूरा करने की अनुमति दी थी। अब भी परीक्षण जारी है। डॉ सैम्युएल टिशरमैन का कहना है कि 2020 के अंत तक इस परीक्षण का पूरा परिणाम सामने आ जायेगा।