इजराइल के हिब्रू विश्वविद्यालय ने मधुमक्खियों पर किए एक शोध में पाया है कि छत्ते में मौजूद अंडों की देखरेख के लिए मादा मधुमक्खियों को अपनी नींद की कुर्बानी देनी पड़ती है। करंट बायोलॉजी जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक, अध्ययन में वैज्ञानिकों ने अंडों और मधुमक्खियों की दिनचर्या की बारीकी से जांच की। इस दौरान पाया गया कि जिस लार्वा में अंडे पनप रहे होते हैं उससे एक रसायन उत्पन्न होता है जो मधुमक्खियों की नींद को कम करता है। अगर इस लार्वा को मधुमक्खियों से अलग कर दिया जाए, तो वे आम दिनों की तरह ही नींद लेती हैं। हालाकि, नींद की कुर्बानी सिर्फ मादा मधुमक्खियों को ही देनी होती है नर मधुमक्खियां अपनी दिनचर्या में कोई बदलाव नहीं करतीं।
शोध में यह भी पाया गया है कि कामकाजी मादा मधुमक्खियां बांझ होती हैं और इनकी संख्या सबसे अधिक होगी है। और ये मधुमक्खियां सबसे ज्यादा अपनी नींद की कुर्बानी देती हैं। जब रानी मधुमक्खी जब अंडे देती है उसके बाद उसके आस-पास सफाई करना इनका काम होता है। ये नर्स का काम करती है। अंडों का ध्यान रखना इनकी जिम्मेदारी होती है।
इससे पहले हुई एक रिसर्च में मधुमक्खियों की भूमिका अलग-अलग तरह से सामने आई थी। शोध के मुताबिक मधुमक्खियों की भूमिका उनकी कॉलोनी के हिसाब से बंटी होती थी। पिछली रिसर्च में सामने आया था कि नर्स मधुमक्खियों के सोने और जागने का समय भी अलग-अलग होता है। ये दिन और रात के अलग-अलग पहर में जागती और सोती हैं। इनका काम विकासशील लार्वा को बेहतर फीडिंग देना होता है, जिससे वे तेजी से विकसित हो सकें।
शोधकर्ता गाय ब्लोच के मुताबिक, हमारी खोज से ये निष्कर्ष निकलता है कि नींद आमतौर पर मायने नहीं रखती। मधुमक्खियों को नींद की कमी से किसी भी तरह का नुकसान नहीं होता। अंडे देने वाली मधुमक्खियां अपने मस्तिष्क या शरीर के अन्य ऊतकों की मदद से नींद को कम कर सकती हैं। शोध में यह भी पाया गया है कि कई अन्य जानवर और पक्षी भी बच्चों के लालन-पालन या पलायन के दौरान कई दिनों तक नहीं सोते। कई नर पक्षी और कुछ अन्य तरह की मक्खियां भी कई दिनों तक जागती हैं और कमाल की बात यह है कि ऐसा करने से इनको कोई नुकसान भी नहीं होता।