पूरे देश में आज विजयदशमी पर रावण का पुतला जलाया जाता है। रावण को बुराई का प्रतीक माना जाता हैं और लोग उसे कोसते हैं। लेकिन वहीँ देश में कई ऐसी जगहें हैं जहां रावण के मंदिर बने हुए हैं और वहां उसकी पूजा भी की जाती हैं। आज इस कड़ी में हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो आज विजयदशमी के दिन साल में एक बार सिर्फ चंद घंटों के लिए खोला जाता है। रावण का ये मंदिर उद्योग नगरी कानपुर में है। केवल दशहरे के दिन ही खोला जाता है। दशहरे के दिन सुबह मंदिर खुलता है और 11:00 बजे के करीब मंदिर साल भर के लिए बंद कर दिया जाता है। मान्यता है कि यहां मन्नत मांगने से लोगों के मन की मुरादें भी पूरी होती है।
विजयदशमी के दिन इस मंदिर में पूरे विधि-विधान से रावण का दुग्ध स्नान और अभिषेक कर श्रृंगार किया जाता है। उसके बाद पूजन के साथ रावण की स्तुति कर आरती की जाती है। यहां के पुजारियों का मत है कि रावण को जब भगवान राम ने मारा था तो नाभि में लगने के बाद और रावण के धराशाही होने के बीच कालचक्र ने जो रचना की, उसने रावण को पूजने योग्य बना दिया।
पुजारियों का कहना है, 'जब राम ने लक्ष्मण से कहा था कि रावण के पैरों की तरफ खड़े होकर सम्मानपूर्वक नीति ज्ञान की शिक्षा ग्रहण करो, क्योंकि धरातल पर कभी रावण के जैसा कोई ज्ञानी पैदा न हुआ है और न कभी होगा, रावण का यही स्वरूप पूजनीय है और इसी स्वरुप को ध्यान में रखकर कानपुर में रावण के पूजन का विधान है।'
साल 1868 में कानपुर में बने इस मंदिर में हर साल रावण की पूजा होती है। लोग हर साल इस मंदिर के खुलने का इंतजार करते हैं और मंदिर खुलने पर यहां पूजा-अर्चना बड़े धूमधाम से करते हैं। पूरे विधि विधान से पूजा अर्चना के साथ रावण की आरती भी की जाती है। दशहरे के दिन ही रावण का जन्मदिन भी मनाया जाता है। बहुत कम लोग जानते होंगे कि रावण को जिस दिन राम के हाथों मोक्ष मिला, उसी दिन रावण पैदा भी हुआ था।