आखिर क्यों यहां चिकन से महंगा बिक रहा है चूहे का मांस, कारण जान रह जाएंगे हैरान

हमारे देश के भोजन में वेज और नॉनवेज दोनों का संगम देखने को मिलता हैं। देश की बड़ी तादाद नॉनवेज का शौक रखती हैं और इसमें सबसे ज्यादा चिकन और मटन पसंद किया जाता हैं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं जहां चिकन से ज्यादा चूहे का मांस पसंद किया जाता हैं और यह चिकन से भी महंगा बिक रहा हैं। तो आइये जानते हैं इस पूरे मामले के बारे में।

मसालों की ग्रेवी के साथ बनाए जाने वाले इस व्यंजन को रविवार का स्वादिष्ट व्यंजन बताया जाता है। विक्रेताओं ने बताया कि यह व्यंजन उत्तर-पूर्वी इलाकों की कुछ जनजातियों का पारंपरिक व्यंजन है जो ब्रॉइलर चिकन की ही तरह 200 रुपए प्रतिकिलो बेचा जाता है। गुवाहाटी से 90 किलोमीटर दूर भारत-भूटान सीमा से लगे कुमारिकता के रविवार बाजार में लोग काफी संख्या में अपना पसंदीदा चूहे का मांस खरीदने के लिये आते हैं।

प्राप्त जानकारी अनुसार बाजार में चिकन और बकरे के मांस के मुकाबले चूहे का मांस ज्यादा लोकप्रिय है। चूहे बेचने वाले एक व्यक्ति ने कहा कि पड़ोसी नलबाड़ी और बारपेटा जिले मांस का मुख्य स्रोत हैं।

अब आप सोच रहे होंगे की इतने चूहे आते कहा से है दरअसल स्थानीय किसान फसलों की कटाई के दौरान रात के समय बांस के बने चूहेदान में इन चूहों को कैद कर लेते हैं। एक चूहे का वजन एक किलो से ज्यादा होता है। चूहों को पकड़ने से किसान अपनी फसल को खराब होने से भी बचा लेते हैं। किसानों का दावा है कि चूहे पकड़ने से हाल के दिनों में उनकी फसल को होने वाले नुकसान में कमी आई है।

वही एक अन्य शिकारी की माने तो रात के समय जब वह अपने बिल के पास आते हैं, तब उनका शिकार किया जाता है। इस दौरान वह बिल के नजदीक लगाए गए चूहेदान में फंस जाते हैं। चूहे का मांस बेचने का काम अक्सर आर्थिक रूप से कमजोर समुदायों के लोग करते हैं, उनके लिये चाय बागान में काम करने के अलावा यह आमदनी का एक और जरिया है।