आपने देखा ही होगा कि आजकल लोग सब्जियां और फल लेते समय भी सोचते हैं कि कहीं यह केमिकल से तो नहीं पकी हैं क्योंकि वे सेहत को नुकसान पहुंचाती हैं। ऐसे में आप अपने घर पर भी सब्जियां उगा सकते हैं। अब आप सोच रहे होंगे की घर पर थोड़े मिट्टी डालकर खेत बनाएंगे। तो आज हम आपको एक ऐसी महिला के बारे में बताने जा रहे हैं जो बिना मिट्टी के घर की छत पर सब्जियां और फल उगाती हैं। हम बात कर रहे हैं पुणे की नीला रेनाविकर के बारे में। नीला रेनाविकर पिछले 10 सालों से अपने घर की छत पर बिना मिट्टी के फल और सब्जी उगा रही हैं। बता दें कि नीला पेशे से अकाउंटेंट हैं और मैराथन रनर भी रह चुकी हैं। नीला अपने घर की छत के 450 स्क्वायर फीट एरिया को एकदम खेत की तरह बना रखा है, जहां कई तरह फल-फूल और सब्जियों की खेती करती हैं।
फल और सब्जियों को उगाने के लिए नीला गमले में मिट्टी का इस्तेमाल नहीं करती हैं। नीला रेनाविकर सूखे पत्तों, किचन वेस्ट और गोबर से कम्पोस्ट तैयार करती हैं और इसी में पौधों को लगाती हैं। कम्पोस्ट में पत्तों के कारण बिना मिट्टी के भी लंबे समय तक नमी बनी रहती है, जिससे पौधे एकदम स्वस्थ रहते हैं। वहीं कम्पोस्ट खाद की वजह से केंचुए के लिए अच्छा माहौल मिलता है, जो पैदावार को बढ़ाने में बहुत सहायता करते हैं। नीला के मुताबिक, इस काम के लिए केवल समय निकालकर मेहनत करने की जरूरत है।
नीला को इंटरनेट के माध्यम से बिना मिट्टी के पौधे उगाने वाली इस तकनीक को सीखने में मदद मिली। उन्होंने यूट्यूब पर कई तरह के वीडियो देखकर यह सीखना शुरू किया कि एक पौधो को उगाने से लेकर उसके देखभाल के लिए किन-किन चीजों का ध्यान रखना चाहिए। इसके बाद उन्होंने इसका प्रयोग शुरू किया। नीला कम्पोस्ट बनाने के लिए एक डिब्बे में निश्चित मात्रा में सूखी पत्तियां डालीं, गोबर डाला फिर हर हफ्ते किचन वेस्ट उसमें डालने लगीं। ऐसा करने से मात्र एक महीने में खाद तैयार हो गया।
नीला के गार्डन में 100 डिब्बे हैं, जिनमें वो अलग-अलग तरह की फल और सब्जियां उगाती हैं। गार्डन से निकलने वाली फल और सब्जियों को वो अपने दोस्तों में भी बांटती हैं। इतना ही नहीं नीला ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर फेसबुक पर ‘ऑर्गेनिक गार्डनिंग' नाम का एक ग्रुप बनाया है, जिसमें करीब तीस हजार लोग जुड़ चुके हैं। इस ग्रुप के माध्यम से वो ऑर्गेनिक खेती और गार्डनिंग से जुड़ी टिप्स शेयर करती हैं।
नीला ने शुरुआत में एक बाल्टी में कंपोस्ट डालकर खीरा के बीज बोए। करीब 40 दिन के बाद बाल्टी में लगाए पौधे से दो खीरे निकले। इसके बाद नीला ने मिर्च, टमाटर, आलू आदि उगाए। नीला रेनाविकर के मुताबिक बिना मिट्टी वाली खेती के तीन बड़े फायदे हैं- पहला कीड़े नहीं लगते, दूसरा वीड या फालतू घास नहीं होती और तीसरा ये कि इस विधि से पौधों को मिट्टी की अपेक्षा ज्यादा पोषण मिलते हैं।