एयरप्लेन को ऊंचाई पर ले जाकर सो जाते है पायलट्स, जानें हवाई जहाज से जुड़े कुछ ऐसे ही और दिलचस्प फैक्ट्स

हवाई जहाज की यात्रा को काफी सुखद और समय बचाऊ माना जाता है। जिसकी वजह से रोज सफर करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। आपको बता दें कि ऐसे कई राज हैं जिन्हें कि एयरलाइंस कंपनियां छिपा कर रखती है। उड़ान के दौरान ऐसा बहुत कुछ होता है, जो न एयरलाइंस कंपनियां इस बारे में आपको जानकारी देती हैं और न ही पायलट और एयरहोस्टेस। तो आज हम उन बातों के बारे में आपको अवगत करा देते है...

फ्लाइट में लाइट डिम करने की वजह

एयरप्लेन टेक ऑफ और लैंडिंग के दौरान लाइट डिम की जाती है। इसके पीछे की वजह यह है कि रन-वे पर लैंडिंग या टेक ऑफ के दौरान प्लेन को एक्स्ट्रा पॉवर की जरूरत होती है, जिसकी वजह से फ्लाइट में जल रही सभी लाइट्स एकदम से बंद हो जाती हैं और उनकी जगह पर बहुत ही डिम यानि धीमी लाइट्स जल जाती हैं। इसके साथ ही अगर टेक ऑफ या लैंडिंग करने के दौरान कुछ एमरजेंसी आती भी है तो पावर जाने के बाद अंधेरा होने के समय यात्रियों की आंखें डिम लाइट में एडजस्ट हो सकें।

पायलट्स को नहीं मिलता पैसेंजर्स वाला खाना

क्या आप जानते है कि फ्लाइट में आपको जो खाना सर्व किया जाता है वो खाना पयलट को नहीं दिया जाता है। हवाई सफर के दौरान पायलट को हल्का फुल्का खाना परोसा जाता है। वो इसलिए क्योंकि अगर पायलट को यात्रियों की तला, भुना या ज्यादा मसालेदार भोजन दिया जाए, तो वह पेट खराब होने की वजह से टॉयलेट में ही फंसा रह जाएगा और आपको लैंड कौन करवाएगा, सोचने वाली बात है!

ऊंचाई पर ले जाकर सो जाते हैं पायलट

जी हां पढ़ने में थोड़ा अजीब लगेगा लेकिन यह सच है ऐसा एयर पॉकेट बनने की वजह से होता है। एयर पॉकेट बनने की वजह से पायलट को नींद आने का अहसास होता है। ऐसे में पायलट सोने से पहले प्लेन का ऑटो पायलट मोड ऑन कर देता है। लेकिन घबराइए नहीं एक पायलट के सोने के बाद दूसरा पायलट जगा रहता है। इस तरह पायलट के सो जाने के बाद भी प्लेन आराम से हवा में उड़ता रहता है। 60% पायलट्स ने ये माना भी हैं कि वे लंबी दूरी की फ्लाइट में वे कभी-कभी कुछ देर के लिए सो जाते हैं।

15 मिनट ही काम करते हैं ऑक्सीजन मास्क

फ्लाइट में हवा का दबाब कम होने या ऑक्सीजन की कमी होने पर ऑक्सीजन मास्क की सुविधा होती है। लेकिन क्या आपको मालूम है कि कुछ मामलों ये बिल्कुल बेकार साबित होते हैं। फ्लाइट में आपको एयरहोस्टेस इस बात की जानकारी जरूर देती हैं कि इसका इस्तेमाल करना कैसे है, लेकिन ये मास्क 15 मिनट से ज्यादा काम नहीं करते। इसके बाद ऑक्सीजन मिलनी बंद हो जाती है, जिसकी वजह से हाइपर वेंटिलेशन की स्थिति बनने लगती है।

किसी की मृत्यु होने पर

अगर किसी की उड़ान के दौरान मौत हो जाती है तो अधिकांश विमानों में एक विशेष क्षेत्र नहीं होता है जहां लैंडिंग तक शव रखा जाएगा। बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, अधिकांश मामलों में, मृत व्यक्ति को उनकी रिजर्व सीट पर वापस ले जाते हैं, यदि कोई खाली सीट नहीं है, तो शरीर को कंबल से लपेटकर लिटा दिया जाता है।

प्लेन में कैमरा

अगर आप और आपका साथी ये सोच रहे हैं कि प्लेन में कोई भी नहीं है और आप कहीं भी सीट बदलकर बैठ सकते हैं या फिर प्लेन के अन्दर कुछ भी छेड़छाड़ कर सकते हैं, और आपको ऐसे में कोई भी नहीं देख रहा है, तो आपकी यह सोच बिलकुल गलत है। लगभग हर फ्लाइट में छिपे हुए कैमरे होते हैं, जो अपने यात्रियों की हर एक्टिविटीज पर नजर बनाए रखते हैं।