शीतला अष्टमी 2020 : 50 लाख लीटर पानी से भी नहीं भरता माता के मंदिर का यह छोटा सा घडा़

भारत को अपने मंदिरों के लिए जाना जाता हैं जहां हर मंदिर के अपने रहस्य है और महिला हैं। शीतला अष्टमी का पावन पर्व आने वाला हैं और इस दिन शीतला माता की पूजा की जाती हैं। इसलिए आज इस कड़ी में हम आपके लिए शीतला माता का एक ऐसा अनोखा मंदिर लेकर आए हैं जो अपने घड़े के लिए जाना जाता हैं। हम बात कर रहे हैं राजस्थान के पाली जिले में स्थित शीतला माता के मंदिर के बारे में जहां इस पावन पर्व पर आधा फीट गहरा और इतना ही चौड़ा घड़ा श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ के लिए खोला जाता है।

यहां सैकड़ों साल पुराना इतिहास और चमत्कार दोहराया जाता है। शीतला माता के मंदिर में स्थित ये घड़ा करीब 800 साल से लगातार साल में केवल दो बार सामने लाया जाता है। अब तक इसमें 50 लाख लीटर से ज्यादा पानी भरा जा चुका है। इसको लेकर मान्यता है कि इसमें कितना भी पानी डाला जाए, ये कभी भरता नहीं है। ऐसी भी मान्यता है कि इसका पानी राक्षस पीता है, जिसके चलते ये पानी से कभी नहीं भर पाता है। दिलचस्प है कि वैज्ञानिक भी अब तक इसका कारण नहीं पता कर पाए हैं।

ग्रामीणों के अनुसार करीब 800 साल से गांव में यह परंपरा चल रही है। घड़े से पत्थर साल में दो बार हटाया जाता है। पहला शीतला सप्तमी पर और दूसरा ज्येष्ठ माह की पूनम पर। दोनों मौकों पर गांव की महिलाएं इसमें कलश भर-भरकर हज़ारो लीटर पानी डालती हैं, लेकिन घड़ा नहीं भरता है। अंत में पुजारी प्रचलित मान्यता के तहत माता के चरणों से लगाकर दूध का भोग चढ़ाता है तो घड़ा पूरा भर जाता है। दूध का भोग लगाकर इसे बंद कर दिया जाता है। इन दोनों दिन गांव में मेला भी लगता है। दिलचस्प है कि इस घड़े को लेकर वैज्ञानिक स्तर पर कई शोध हो चुके हैं, मगर भरने वाला पानी कहां जाता है, यह कोई पता नहीं लगा पाया है।