हर देश की कुछ ख़ुफ़िया एजेंसियां होती हैं जिनके बारे में पता लगा पाना और जानकारी पाना मुश्किल होता हैं। जैसे कि भारत की रॉ, इस्त्रायल की मोसाद, अमेरिका की सीआईए और ब्रिटेन की एमआई-6 आदि। लेकिन एक एजेंसी या संगठन ऐसा हैं जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं और यह एक रहस्य बना हुआ हैं। हम बात कर रहे हैं इलुमिनाती की जिसके बारे में वो लोग भी शायद ही जानते होंगे जहाँ इसका जन्म हुआ।
असल में इलुमिनाती 18वीं सदी का एक खुफिया संगठन था, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह कई देशों में आज भी सक्रिय है और खुफिया बैठकें करता है। यहां तक कि जब दुनिया के किसी कोने में कोई घटना घटती है और उसके बारे में पहले से किसी को कुछ पता नहीं होता तो कह दिया जाता है कि उसमें इलुमिनाती का हाथ था। इसी वजह से इसे एक रहस्यमय संगठन माना जाता है।
कुछ लोगों का मानना है कि 18वीं सदी में फ्रांस में हुई क्रांति के पीछे इलुमिनाती का ही हाथ था। इतना ही नहीं, कुछ लोग तो यह भी मानते हैं कि अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ। कैनेडी की हत्या में भी इसी संगठन का हाथ था। 22 नवंबर 1963 को उनकी हत्या कर दी गई थी। इसको लेकर समय-समय पर कई खुलासे हुए हैं, लेकिन आखिर उनकी हत्या के पीछे का कारण क्या था और किसने उनकी हत्या करवाई थी, यह आज तक स्पष्ट नहीं हो सका है। माना जाता है कि उनकी हत्या के समय उनके आसपास एक महिला दिखी थी, जिसके हाथ में कैमरे की तरह दिखने वाला एक पिस्तौल था। इस महिला को 'द बबुश्का लेडी' के नाम से जाना जाता है। अब ये महिला कौन थी, इसके बारे में आज तक किसी को पता नहीं चल पाया है।
माना जाता है कि इलुमिनाती की शुरुआत जर्मनी के बावरिया सूबे में स्थित एक छोटे से शहर इंगोल्स्ताद में हुई थी। वर्ष 1776 में इंगोल्स्ताद यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एडम वीशॉप्ट ने इसकी शुरुआत की थी, जिसका नाम उन्होंने 'ऑर्डर ऑफ इलुमिनाती' रखा था। कहते हैं कि प्रोफेसर एडम वीशॉप्ट इस संगठन की मदद से कट्टरपंथ से आजाद एक नई दुनिया की स्थापना करना चाहते थे, जहां मजहब की दीवारें न हों और सबको बराबरी का हक हासिल हो।
प्रोफेसर वीशॉप्ट की लिखी एक किताब आज भी इंगोल्स्ताद के म्यूजियम में सुरक्षित रखी हुई है। इस किताब में उन्होंने अपने काम के बारे में बताया है कि आखिर खुफिया संगठन इलुमिनाती की शुरुआत के पीछे उनका मकसद क्या था।
कहा जाता है कि प्रोफेसर वीशॉप्ट ने इलुमिनाती की शुरुआत अपने कुछ छात्रों के साथ की थी, लेकिन बाद में इस संगठन से हजारों लोग जुड़ गए थे। माना जाता है कि प्रोफेसर वीशॉप्ट के घर पर ही खुफिया बैठकें हुआ करती थीं। हालांकि यह संगठन बना तो था खुफिया तरीके से, लेकिन कुछ ही दिनों में इसके बारे में स्थानीय सरकार को पता चल गया और उन्होंने इसपर पाबंदी लगा दी। साथ ही प्रोफेसर वीशॉप्ट को भी दूसरे शहर में भेज दिया गया था, ताकि वो फिर से संगठन को बनाने की कोशिश ना करें, लेकिन माना जाता है कि इसके बावजूद संगठन लगातार सक्रिय रहा और आज भी है।