आखिर क्यों कहा जाता हैं भारत के इस किले को कुंवारा, जानें इसके रहस्य

भारत को अपने प्राचीन इतिहास और धरोहर के लिए जाना जाता हैं। इन धरोहर में हैं देश के कई किले जो अपने अनोखेपन के लिए जाने जाते हैं। आज इस कड़ी में हम आपको एक ऐसे किले के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे कुंवारा कहा जाता है और एक समय किले के अंदर प्रवेश करने के लिए इलाके के एसपी से अनुमति लेनी पड़ती थी। हम बात कर रहे हैं राजस्थान के अलवर में स्थित 'बाला किला' के नाम से प्रसिद्द किले की। इससे जुड़े कई अनोखे रहस्य हैं जिसके बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं।

इसे 'अलवर फोर्ट' भी कहा जाता है। पूरे अलवर में अगर देखें तो यह किला वहां की सबसे पुरानी इमारत है। माना जाता है कि इस किले का निर्माण कार्य 1492 ईस्वी में हसन खान मेवाती ने शुरू करवाया था। यह अपने भव्य संरचनात्मक डिजाइन के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है। इस किले पर मुगलों से लेकर मराठों और जाटों तक का शासन रहा है। किले की दीवारों में 446 छेद हैं, जिन्हें खास तौर पर दुश्मनों पर गोलियां बरसाने के लिए बनवाया गया था। इन छेदों 10 फुट की बंदूक से भी गोली चलाई जा सकती थी। इसके अलावा दुश्मनों पर नजर रखने के लिए किले में 15 बड़े और 51 छोटे बुर्ज बनवाए गए हैं।

इसकी सबसे खास बात ये है कि इतिहास में इस किले पर कभी युद्ध नहीं हुआ। इस वजह से इसे 'कुंवारा किला' भी कहा जाता है। यह किला पांच किलोमीटर लंबा और करीब 1.5 किलोमीटर चौड़ा है। किले के अंदर प्रवेश के लिए कुल छह दरवाजे बनवाए गए हैं, जिनके नाम जय पोल, सूरज पोल, लक्ष्मण पोल, चांद पोल, कृष्णा पोल और अंधेरी पोल हैं। कहते हैं कि इस किले में मुगल शासक बाबर और जहांगीर भी रुक चुके हैं। बाबर ने यहां महज एक ही रात बिताई थी। वहीं जहांगीर किले के अंदर बने जिस कमरे में ठहरे थे, उसे आज 'सलीम महल' के नाम से जाना जाता है। कहते हैं कि इस किले के अंदर बेशकीमती खजाना छुपा हुआ है। माना जाता है कि वो खजाना धन के देवता कुबेर का है, लेकिन ये खजाना एक रहस्य ही है, क्योंकि आज तक कोई भी ढूंढ नहीं पाया है।