इतिहास में कुछ शख्स ऐसे होते हैं जो अपने काम के चलते नाम बनाते हैं। कुछ काम अच्छे होते हैं तो कुछ बुरे। लेकिन कुछ काम होते हैं अनोखे जो सभी को अचरज में डाल देते हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने अपने काम के चलते अलग पहचान बनाई। हम बात कर रहे हैं एक ऐसे जल्लाद के बारे में जिसने अपने ही 17 'दोस्तों' को एक-एक कर फांसी पर लटकाया। इस जल्लाद का नाम है बाबुल मियां और ये बांग्लादेश का रहने वाला है। सबसे हैरानी की बात तो ये है कि बाबुल मियां को एक कत्ल के जुर्म में 31 साल जेल की सजा मिली थी, लेकिन बाद में उन्होंने जेल अधिकारियों के कहने पर जल्लाद का पेशा चुन लिया।
बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बाबुल मियां बताते हैं कि उन्हें नहीं पता कि आखिर उन्हें जल्लाद बनने के लिए क्यों चुना गया, लेकिन जेल प्रमुख ने उनसे कहा था कि अगर वो जल्लाद बन जाएं तो उनके द्वारा दी गई हर फांसी पर उनकी सजा दो महीने कम कर जाएगी, जिसे उन्होंने मान लिया और बन गए जल्लाद। खास बात ये कि जेल में रहते उनके कई दोस्त बन गए थे, जो किसी न किसी जुर्म में सजा काट रहे थे। लेकिन जब एक-एक कर उन लोगों को अदालत द्वारा सजा-ए-मौत मिली तो उन्ही दोस्तों या साथियों को बाद में बाबुल मियां ने फांसी पर लटका दिया।
लगभग 21 साल जेल में बिताने के बाद साल 2010 में बाबुल मियां को क्षमादान मिला और उन्हें रिहा कर दिया गया था। साल 1989 में बाबुल मियां जब 17 साल के थे, तभी उन्हें जेल हुई थी। हालांकि उनका कहना था कि उन्हें जिस जुर्म के लिए सजा मिली है, वो जुर्म उन्होंने किया ही नहीं था, बल्कि उनके बड़े भाई ने किया था। उनके बड़े भाई को भी 12 साल और एक अन्य भाई को 10 साल की सजा मिली थी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बाबुल मियां बताते हैं कि उन्हें जल्लाद बनने के लिए जेल की ओर से प्रशिक्षण दिया गया। उन्हें बताया गया कि फांसी का तख्ता कैसे तैयार करना है और फंदा कैसे बनाना है। इसके अलावा सबसे जरूरी बात उन्हें ये बताई गई थी कि फांसी पर लटकाने वाले की आंखों में कभी नहीं देखना है। आपको जानकर हैरानी होगी कि बांग्लादेश में फांसी को लेकर एक परंपरा है, जिसके हिसाब से फांसी की सजा हमेशा आधी रात को बारह बज कर एक मिनट पर ही दी जाती है। इस बारे में कैदी और उनके परिजनों को एक दो दिन पहले सूचना दे दी जाती है।
बाबुल मियां बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति शेख मुजीबुर्रहमान के पांच हत्यारों को भी साल 2010 में फांसी पर लटका चुके हैं और वो सभी वहां के सैन्य अधिकारी थे। साल 1975 में बांग्लादेश में तख्तापलट करने के लिए इन सैन्य अधिकारियों ने तत्कालीन राष्ट्रपति शेख मुजीबुर्रहमान के आवास पर हमला बोल दिया था और राष्ट्रपति सहित उनकी पत्नी, उनके तीन बेटे और दो बहुओं समेत 20 अन्य लोगों को मौत के घाट उतार दिया था।